डीएलएड में खाली रह गईं 70 फीसद सीटें, सीएम से गुहार लगा चुके कालेज संचालक

निजी डीएलएड कालेज संचालकों का कहना है कि छात्रों को प्रवेश के लिए पर्याप्त समय नहीं मिलने से आधे से ज्यादा सीटें खाली रह गई हैं। इस सत्र में प्रवेश प्रक्रिया के लिए जो समय दिया गया उस समय में केवल 1350 सीटों पर दाखिले हो सके।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Wed, 13 Oct 2021 01:54 PM (IST) Updated:Wed, 13 Oct 2021 01:54 PM (IST)
डीएलएड में खाली रह गईं 70 फीसद सीटें, सीएम से गुहार लगा चुके कालेज संचालक
मामले पर परीक्षा नियामक प्राधिकारी को पत्र भेजेंगे।

कानपुर, जेएनएन। कोरोना महामारी के चलते डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजूकेशन (डीएलएड) में सत्र 2020 के दौरान छात्र प्रवेश नहीं ले सके थे। वहीं, जब सत्र 2021 में 25 सितंबर से प्रवेश प्रक्रिया शुरू हुई और चार अक्टूबर तक संचालित रही तो भी जिले की करीब 70 फीसद सीटें खाली रह गईं।

अच्छी खासी संख्या में सीटें खाली रहने की वजह से निजी डीएलएड स्कूल संचालक बेहद परेशान हैं। उनका कहना है, कि छात्रों को प्रवेश के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया। कई राज्य विवि द्वारा स्नातक अंतिम वर्ष का परिणाम देर से जारी हुआ, इसके चलते छात्र आवेदन करने से रह गए। उप्र स्ववित्तपोषित महाविद्यालय एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय त्रिवेदी ने बताया कि शहर में हर साल 50 निजी डीएलएड कालेजों की लगभग 4500 सीटों पर छात्र-छात्राएं प्रवेश लेते थे। मगर, इस सत्र में प्रवेश प्रक्रिया के लिए जो समय दिया गया, उस समय में केवल 1350 सीटों पर दाखिले हो सके। पदाधिकारियों ने कहा, कि वह अब इस मामले पर परीक्षा नियामक प्राधिकारी को पत्र भेजेंगे। वहीं, डायट प्राचार्य रेखा श्रीवास्तव ने कहा कि जो निर्देश परीक्षा नियामक प्राधिकारी से मिलेंगे उनका अनुपालन कराएंगे।

सीएम तक पहुंचा था मामला : डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजूकेशन (डीएलएड) में सत्र 2020 पूरी तरह शून्य हो गया था। तब कालेज संचालकों ने अपने आर्थिक संकट की जानकारी देकर सीएम तक गुहार लगाई थी। इसके बाद तय हुआ था, कि सत्र 2021 में छात्रों को इतना समय दिया जाएगा कि वह तय समय से अपना आवेदन कर लें। हालांकि, अब 70 फीसद सीटें खाली हो जाने से संचालक एक बार फिर से सीएम के पास जाकर अपनी बात कहना चाहते हैं।

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