माल लादकर ले जाने का मिलता 50 हजार... अगर RTO ने पकड़ा तो जुर्माना मात्र दस हजार
कानपुर से दिल्ली अहमदाबाद किसी भी रास्ते पर जाते समय इन्हेंं रास्ते में ही उतारा जाता रहता है। इसमें दिल्ली जाने वाली 50 किलो की बोरी दो सौ से सवा दो रुपये और 100 किलो की बोरी 450 के करीब पड़ती है।
कानपुर, जेएनएन। यात्रियों की जगह माल भाड़े को वरीयता देने का निजी बस संचालकों का सीधा सा फंडा यह है कि एक बस से माल भाड़ा के रूप में उन्हेंं 50 हजार रुपये से ज्यादा मिलते हैं और कभी आरटीओ ने उन्हेंं पकड़ कर जुर्माना लगा भी दिया तो अधिकतम 10 हजार रुपये का दंड भुगत कर भी वह मुनाफे में रहते। यह पकड़े जाने का अनुपात एक फीसद से कम मामलों में है। इसलिए निजी बसें धड़ल्ले से माल ढोती हैं और रोज ही एक करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई यहां से होती है। वास्तव में कानपुर बड़ा व्यापारिक शहर है इसलिए यहां से जितना माल बाहर जाता है, उससे पांच गुना ज्यादा बाहर से कानपुर आता है।
आरटीओ अधिकारी भी इस मामले में खुद बचने के रास्ते खोलते रहते हैं। नियमों के उल्लंघन पर इन बसों का परमिट निरस्त क्यों नहीं करते इस संबंध में उनका कहना है कि वे फीस जमा कर दोबारा परमिट बनवा लेंगे, इसलिए परमिट निरस्त नहीं करते। सिर्फ 10 हजार रुपये जुर्माना ले लेते हैं। फजलगंज से रोज दो सौ से ज्यादा बसें चलती हैं। कानपुर से दिल्ली, अहमदाबाद किसी भी रास्ते पर जाते समय इन्हेंं रास्ते में ही उतारा जाता रहता है। इसमें दिल्ली जाने वाली 50 किलो की बोरी दो सौ से सवा दो रुपये और 100 किलो की बोरी 450 के करीब पड़ती है। एक टन के माल के लिए करीब तीन हजार रुपये लिए जाते हैं।
इनका ये है कहना इन बसों को माल लादने की अनुमति नहीं होनी चाहिए। ई-वे बिल उसी वाहन पर जारी होना चाहिए जो माल ले जाने के लिए पंजीकृत हो। - मनीष कटारिया, अध्यक्ष, यूपी मोटर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन। परमिट निरस्त करने पर संचालक दोबारा फीस भरकर उसे बनवा लेगा, इसलिए परमिट निरस्त ना करके 10 हजार रुपये का अधिकतम जुर्माना लगाते हैं। - राकेश सिंह, आरटीओ प्रवर्तन। वाणिज्य कर विभाग कार्रवाई करता है। बसें भी पकड़ कर कार्यालय लाई गई हैं, लेकिन जब तक ऐसी बसों का चलना नहीं रुकेगा वे माल लादना बंद नहीं करेंगी। - पीके सिंह, एडीशनल कमिश्नर, वाणिज्य कर विभाग।