पितृ विसर्जनी अमावस्या पर चित्रकूट में उमड़े श्रद्धालु, मंदाकिनी स्नान कर पितरों को तर्पण Chitrakoot News

शुक्रवार की रात से ही श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हो गया और स्नान कर कामदगिरी की परिक्रमा लगाई।

By AbhishekEdited By: Publish:Sat, 28 Sep 2019 03:12 PM (IST) Updated:Sat, 28 Sep 2019 03:12 PM (IST)
पितृ विसर्जनी अमावस्या पर चित्रकूट में उमड़े श्रद्धालु, मंदाकिनी स्नान कर पितरों को तर्पण Chitrakoot News
पितृ विसर्जनी अमावस्या पर चित्रकूट में उमड़े श्रद्धालु, मंदाकिनी स्नान कर पितरों को तर्पण Chitrakoot News

चित्रकूट, जेएनएन। शनिवार को पितृ विसर्जनी अमावस्या पर धर्म नगरी में हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। बारिश के बीच उफनाती मंदाकिनी नदी में स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने पितरों का तर्पण किया। कामतानाथ के दर्शन कर कामदगिरि की परिक्रमा लगाई। इस दौरान भगवान राम के जयकारों से माहौल भक्तिमय हो गया।

धर्म नगरी चित्रकूट में वैसे तो हर अमावस्या पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है लेकिन शनिवार को पितृ विसर्जनी अमावस्या होने के चलते हजारों-लाखों की संख्या में लोग पहुंचे। यहां पर लोगों ने मंदाकिनी नदी के तट पर स्नान, तर्पण और सिर मुंडन कराने के बाद पुन: स्नान किया। इसके बाद कामतानाथ के दर्शन किए और कामदगिरी की परिक्रमा लगाई। शुक्रवार की रात से ही श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हो गया था। आसपास जिलों के श्रद्धालुओं ने एक दिन पहले ही डेरा जमा लिया था और रात से ही शुरू हुआ स्नान का सिलसिला दोपहर बाद तक जारी रहा। बारिश के कारण मंदाकिनी नदी उफान पर चल रही हैं।

इसके चलते प्रशासन ने सुरक्षा के मद्देनजर गोताखोरों के साथ पीएसी बल भी तैनात किया है। चित्रकूटधाम कर्वी रेलवे स्टेशन और बस अड्डा पर भीड़ के चलते ट्रेनों और बसों में मारामारी की स्थिति बनी रही। रेलवे स्टेशन और बस अड्डा से चित्रकूट धाम, रामघाट व कामदगिरि तक पहुंचने के लिए वाहन कम पड़ गए। जिलाधिकारी शेषमणि पांडेय ने बताया कि सेक्टर व जोन में बांटकर मेला में व्यवस्थाएं दुरुस्त की गई हैं। आधा दर्जन जगह पूछताछ व खोया पाया केंद्र बनाए गए हैं। मेला अभी 29 सितंबर तक चलेगा।

भगवान राम ने किया था पिता का तर्पण

वाल्मीकि आश्रम लालापुर चित्रकूट के महंत भरतदास जी महाराज, भरत मंदिर रामघाट के महंत दिव्य जीवन दास ने बताया को रामघाट के पास स्थित राघव घाट पर भगवान राम ने पिता दशरथ का पिंडदान व तर्पण किया था। मान्यता है कि पितृ विसर्जनी अमावस्या के दौरान यहां पर प्रयागराज भी प्रति वर्ष अपने पाप धुलने के लिए आते हैं। प्रयागराज में स्नान के बाद उन्होंने पहली बार ब्रह्मा जी के कहने पर कौए का रूप धारण कर यहां स्नान किया था। तब से सिलसिला बरकरार है।

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