जानिए, कानपुर में डेंगू कैसे बचा रहा कोरोना संक्रमित मरीजों की जान, अध्ययन में सामने आए ये अहम तथ्य

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के हैलट के कोविड में अब तक ऐसे 17 मरीज आए। देश का दूसरा कोरोना संक्रमित जिसे डेंगू भी था यहां ही हुआ था रिपोर्ट। अगस्त की शुरुआत में कोरोना के चार मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई थी। उन चारों को ऑक्सीजन की जरूरत नहीं पड़ी।

By ShaswatgEdited By: Publish:Fri, 27 Nov 2020 11:43 AM (IST) Updated:Fri, 27 Nov 2020 05:26 PM (IST)
जानिए, कानपुर में डेंगू कैसे बचा रहा  कोरोना संक्रमित मरीजों की जान, अध्ययन में सामने आए ये अहम तथ्य
डेंगू की वजह से कोरोना संक्रमितों की जान बच गई।

कानपुर, [ऋषि दीक्षित]। देश में कोरोना संक्रमित पहला मरीज अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली में आया था, जिसे डेंगू का संक्रमण भी था। दूसरा मरीज जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में आया। उसके बाद तो एक-एक कर यहां 17 मरीज आए, जिन्हें कोरोना संग डेंगू भी हुआ था। इन सभी संक्रमित मरीजों की केस स्टडी की गई तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। डेंगू की वजह से कोरोना संक्रमितों की जान बच गई।

नहीं पड़ी मरीजाें को वेंटीलेटर की आवश्यकता 

एलएलआर हॉस्पिटल के डॉक्टर कहते हैैं कोरोना वायरस की तरह डेंगू का संक्रमण भले ही घातक है, लेकिन डेंगू कोरोना संक्रमितों की जान बचा रहा है, दरअसल कोरोना का संक्रमण खून में थक्के बनाता है, वहीं डेंगू का वायरस प्लेटलेट्स कम करता है, जिससे खून पतला होने लगता है। खून पतला होने से थक्के नहीं जमते हैं। फेफड़े की छोटी-छोटी रक्त नलिकाओं में खून के थक्के नहीं जमने से उन्हें ऑक्सीजन पूरी मिलती रही और ऑक्सीजन सेचुरेशन भी कम नहीं हुआ। ऐसे में मरीजों को वेंटीलेटर की जरूरत भी नहीं पड़ती है। इसी वजह से प्रदेश में जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के हैलट अस्पताल के कोविड आइसीयू का रिकवरी रेट बेहतर है। अगस्त की शुरुआत में कोरोना के चार मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई थी। उन चारों को ऑक्सीजन की जरूरत नहीं पड़ी। इस पर मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. प्रेम सिंह एवं एनस्थीसिया विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. चंद्रशेखर ने ऐसे मरीजों की केस स्टडी का निर्णय लिया। उनके रक्त, एक्सरे व सीटी स्कैन की मॉनीटरिंग शुरू की।    

ये दो मामले अाए सामने 

केस 1 -  कल्याणपुर निवासी 56 वर्षीय मधुमेह एवं हाइपरटेशन पीडि़त व्यक्ति को कोरोना संक्रमण हुआ। सांस लेने में तकलीफ पर एलएलआर हॉस्पिटल (हैलट) के कोविड आइसीयू में भर्ती कराया गया। एक-दो दिन ऑक्सीजन पर रहे, फिर स्थिति सामान्य हो गई। बुखार न उतरने पर खून में प्लेटलेट्सा की जांच कराई तो 30 हजार निकलीं। जांच में डेंगू की पुष्टि हुई। हालांकि उन्हें कोई जटिलताएं नहीं हुईं। कोरोना की रिपोर्ट निगेटिव आने में विलंब होने से 17 दिन अस्पताल में रहना पड़ा। केस 2 - फतेहपुर निवासी 26 वर्षीय युवक कोरोना संक्रमित होने पर यहां भर्ती हुआ था। सांस लेने में दिक्कत पर उसे कोविड आइसीयू में रखा गया। चार दिन तक ऑक्सीजन पर रखने के बाद वह सामान्य हो गया। उसे तेज बुखार बना रहा। डॉक्टरों ने डेंगू जांच कराई तो रिपोर्ट पॉजिटिव आई। उसका भी ऑक्सीजन लेवल 98-99 फीसद बना रहा। उसकी कई बार आरटीपीसीआर जांच कराई गई, जो 25वें दिन निगेटिव आई।  

कोरोना संक्रमितों को दे रहे खून पतला करने की दवा

अध्ययन में स्पष्ट हुआ कि डेंगू से जिन कोरोना संक्रमित मरीजों के प्लेटलेट्स काउंट घटकर 20 हजार तक आ गए थे। उन्हें कोई जटिलताएं नहीं हुईं। उनका ऑक्सीजन लेवल ठीक रहा। उनके फेफड़े व रक्त नलिकाओं में कहीं खून का थक्का नहीं जमा, इसलिए अब सांस फूलने वाले सभी गंभीर मरीजों को खून पतला करने की दवा दी जा रही है। प्लेटलेट्स की नियमित मॉनीटरिंग से बेहतर रिजल्ट भी मिल रहे हैं।

अध्ययन में मिले अहम तथ्य

- 20 हजार से ऊपर थे प्लेटलेट्स

- ऑक्सीजन की जरूरत नहीं पड़ी

- फेफड़ों में संक्रमण भी नहीं दिखा

- मधुमेह-हाइपरटेंशन पर जटिलता नहीं

- खून पतला करने की नहीं दी गई दवा

- खून की धमनियों में ब्लॉकेज नहीं हुआ

- दोहरे संक्रमण से प्रतिरोधक क्षमता घटी

- 60 हजार प्लेटलेट््स पर 15-17 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन की जरूरत

- 40 हजार प्लेटलेट््स पर 8-10 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन की जरूर

- 20 हजार प्लेटलेट पर 4 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन की जरूरत

इनका ये है कहना  कोरोना संक्रमितों को डेंगू संक्रमण फायदेमंद रहा। उन्हें वेंटीलेटर की जरूरत नहीं पड़ी और न ही जटिलताएं हुईं। मामूली ऑक्सीजन से ही स्वस्थ हुए। हालांकि उन्हें हॉस्पिटल में अधिक रुकना पड़ा। उनकी कोविड रिपोर्ट विलंब से निगेटिव हुई। - डॉ. चंद्रशेखर सिंह, एसोसिएट प्रोफेसर, एनस्थीसिया विभाग, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज। दोनों वायरस घातक हैं। इनका इलाज नहीं है, सिर्फ लक्षणों के आधार पर ही इलाज किया जाता है। यहां कई कोरोना संक्रमितों की जान डेंगू की वजह से बच गई। उन्हें ऑक्सीजन की जरूरत नहीं पड़ी। अब तक 19 केस आए हैं, उनमें से 17 स्वस्थ होकर जा चुके हैं। सिर्फ दो की मौत हुई है। वह काफी विलंब से आए थे। इसलिए बचाया नहीं जा सका। - डॉ. प्रेम सिंह, प्रोफेसर, मेडिसिन एवं नोडल अफसर कोविड हॉस्पिटल, न्यूरो साइंस सेंटर, हैलट अस्पताल।

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