नोएडा में लक्ष्मी कॉटसिन मिल की नीलामी के बाद फतेहपुर के श्रमिकों की जगी आस, तीन साल से हैं बेराेजगार

टेक्सटाइल के क्षेत्र में देश में सिक्का जमाने वाली इंडस्ट्री लक्ष्मी कॉटसिन की चार यूनिटों की स्थापना वर्ष 2007 हुई थी। काॅटन की बेडशीट के साथ शूटिंग सर्टिंग तौलिया बनाने का कार्य बड़े स्तर पर किया जाता था।

By Shaswat GuptaEdited By: Publish:Mon, 05 Apr 2021 04:38 PM (IST) Updated:Mon, 05 Apr 2021 04:38 PM (IST)
नोएडा में लक्ष्मी कॉटसिन मिल की नीलामी के बाद फतेहपुर के श्रमिकों की जगी आस, तीन साल से हैं बेराेजगार
लक्ष्मी कॉटसिन मेल की खबर से संबंधित प्रतीकात्मक तस्वीर।

फतेहपुर, जेएनएन। एक दशक तक औद्योगिक क्षेत्र की शान रही लक्ष्मी कॉटसिन मिल से जिले के पांच हजार से अधिक परिवारों की उम्मीदें जुड़ी हुई हैं। लगातार होने वाले नुकसान के कारण मिल यूं तो तीन वर्ष से बंद चल रही है, लेकिन श्रमिकों को उम्मीद थी कि शायद मिल फिर चालू होगी। औद्योगिक क्षेत्र में स्थापित टेक्सटाइल की चार यूनिटों के 35 सौ से अधिक श्रमिक व कर्मियों की ग्रेच्युटी और वेतन का करीब 25 करोड़ का बकाया पड़ा हुआ है। नोएडा में मिल की नीलामी की सूचना के साथ श्रमिकों को यह भरोसा हो रहा है कि शायद मिल चालू हो और उन्हें बकाया के साथ रोजगार मिल जाए।

ऐसी थी लक्ष्मी कॉटसिन मिल: टेक्सटाइल के क्षेत्र में देश में सिक्का जमाने वाली इंडस्ट्री लक्ष्मी कॉटसिन की चार यूनिटों की स्थापना वर्ष 2007 हुई थी। काॅटन की बेडशीट के साथ शूटिंग सर्टिंग, तौलिया बनाने का कार्य बड़े स्तर पर किया जाता था। अंतरराष्ट्रीय स्तर की एक कंपनी से समझौते के बाद यहां की बनी तौलिया विश्व के पचास से अधिक देशों में जाती थी। मिल में आठ हजार से अधिक कर्मचारी और श्रमिक काम करते थे, इतना ही नहीं अरबों की टर्न ओवर वाली मिल से पूरा औद्योगिक क्षेत्र गुलजार रहता था। मिल के बंद होने से कर्मचारी व श्रमिक रोजगार के लिए परेशान हैं, कंपनी अभी तक 3500 से अधिक कर्मियों का हिसाब तक नहीं किया। इनका ग्रेच्युटी, वेतन और बोनस का तकरीबन 25 करोड़ का बकाया है।

छिन गई सैकड़ों परिवारों रोजी-रोटी: टेक्सटाइल मिल चलने से सौंरा, मलवां, रेवाड़ी और अभयपुर गांव के सैकड़ों परिवारों की आय छिन गई है। मिल में काम करने वाले हजारों श्रमिकों का बसेरा होने से लोग किराए में कमरा देकर आय हासिल करते थे, इतना ही नहीं दूध, आटा, दाल व चावल के साथ दुकान खोल कर जीविकापार्जन करने वाले परिवारों के सामने आर्थिक संकट आ गया है।

सुनिए कर्मचारियों का दर्द

जब से लक्ष्मी कॉटसिन मिल बंद हो गई रोजगार के लिए पलायन करना पड़ रहा है। हम यह चाहते हैैं कि मिल फिर से चालू हो जाए तो रोजगार के साथ क्षेत्र की खुशहाली बढ़ेगी। - वेद प्रकाश मिल नीलाम होने जा रही है, लेकिन हम लोगों का पिछला हिसाब बाकी है। फिर से चालू करने की आस में कंपनी मालिकान हिसाब रोके हुए है। मिल नहीं चले तो कर्मचारियों को बकाया दे दिया जाए। - प्रदीप कुमार टेक्सटाइल मिल दशकों तक काम किया और मिल घाटे के कारण अब नीलाम हो रही है। सरकार को चाहिए कि काम करने वाले श्रमिक व कर्मियों का अहित न हो। - अनूप कुमार हम तो चाहते हैं कि नीलामी के बाद जिस उद्योगपति को यह मिल मिले वह इसका संचालन करें। मिल मेें पहले से काम कर चुके कर्मचारियों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। - रूद्र नारायण
chat bot
आपका साथी