Mother's Day पर बेटी की गोद में मां ने तोड़ा दम, बहुत दर्द भरी है हमीरपुर के इस परिवार की कहानी
Tragic case on Mothers Day हमीरपुर की नाहिद नामक महिला के पति की मौत को एक महीना भी न बीता था कि अब उनकी सांसें भी थम गईं। ऐसे में उनकी बेटी कुलसुम पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा।
कानपुर, जेएनएन। Tragic Story on Mother's Day जरा सोंचिए! उस बेटी के लिए इससे दर्दनाक क्या होगा कि 15 दिन के अंदर ही उसके सिर से माता और पिता दोनों का साया उठ जाए। ऐसा ही एक हादसा हुआ है हमीरपुर की कुलसुम के साथ। अप्रैल माह के अंत में कोरोना संक्रमण के कारण उसके पिता ने दम तोड़ा और अब कुलसुम की मां ने उसकी गोद में ही आखें बंद कर लीं। निश्चित ही कुलसुम पर उस वक्त दुखों का पहाड़ टूट पड़ा होगा जब उसे मदर्स डे का पता चला होगा। क्योंकि जहां एक ओर संतानें इस दिन मां के प्रति अपना आदर व्यक्त करती हैं। वहीं, ऐसे समय में एक बेटी के लिए उसके माता-पिता की ताउम्र अनुपस्थिति, उसकी रंग भरी दुनिया को बेरंग कर देने जैसी है।
ये है पूरा मामला: हमीरपुर के कदौरा निवासी सैय्यद अजहर अली कोरोना वायरस से संक्रमित हुए। हालत बिगडऩे पर इलाज शुरू हुआ, लेकिन अप्रैल के अंत में उनकी मौत हो गई। पति की मौत से टूटी नाहिद में भी कोविड के लक्षण उभरने लगे थे। सांस लेने में दिक्कत हुई तो स्वजन ने सीटी स्कैन कराया। दो मई को आई सीटी स्कैन रिपोर्ट के बाद परिवार वालों ने नाहिद को हमीरपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती करा दिया। नाहिद को वेंटिलेटर की जरूरत थी। इलाज कर रहे डॉ. अब्दुल समद ने उन्हें कानपुर रेफर कर दिया। परिवार वालों ने दो मई को ही कानपुर में अस्पताल और बेड के लिए सामाजिक कार्यकर्ता राशिद अलीग से बात की, लेकिन लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस न मिलने से उन्हें नहीं लाए।
पांच मई को हालत ज्यादा बिगड़ी तो सामान्य एंबुलेंस में ऑक्सीजन सिलिंडर के भरोसे बेटी कुलसुम उन्हें लेकर कानपुर के लिए चल पड़ी। सफर में नाहिद की सांसें कई बार ऊपर नीचे हुईं। राशिद बताते हैं कि दो घंटे का सफर तय करके नाहिद बर्रा स्थित प्रिया हास्पिटल पहुंचीं। डॉक्टर ने उन्हें देखकर मृत घोषित कर दिया। हमीरपुर, उन्नाव, कानपुर देहात से ऐसे न जाने कितने मरीज इलाज न मिलने से कानपुर आते हैं। यदि इलाज वहीं मिल जाए तो कई जानें बचाई जा सकती हैं।
नहीं मिली लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस: डॉ. अब्दुल समद ने लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस के लिए काफी प्रयास किया, पर नहीं मिली। वह जानते थे कि उसके बिना नाहिद कानपुर गईं तो उनकी जान खतरे में पड़ सकती है और हुआ भी यही।