कानपुर के जैन मंदिरों में मनाया गया दसलक्षण महापर्व, मनुष्य के भावों की शुद्धि को बताया गया उत्तम शुद्धि

सोमवार को आनंदपुरी व जनरलगंज जैन मंदिर के साथ शहर के सभी जिनालयों में उत्तम शुचिता धर्म के लिए प्रार्थना व प्रवचन का आयोजन किया गया। पुष्पदंत दिगंबर जैन मंदिर स्वरूप नगर में अर्नव जैन व रोहन जैन ने भगवान पार्श्वनाथ का शांतिधारा पूजन किया।

By Shaswat GuptaEdited By: Publish:Mon, 13 Sep 2021 05:18 PM (IST) Updated:Mon, 13 Sep 2021 05:18 PM (IST)
कानपुर के जैन मंदिरों में मनाया गया दसलक्षण महापर्व, मनुष्य के भावों की शुद्धि को बताया गया उत्तम शुद्धि
कानपुर के जैन मंदिर में पूजन करते हुए पुजारी।

कानपुर, जेएनएन। श्री दिगंबर जैन पंचायती बड़ा मंदिर जनरलगंज व आनंदपुरी जैन मंदिर में दसलक्षण महापर्व के चतुर्थ दिन उत्तम शुचिता धर्म का पालन किया गया। अनुयायियों ने जैन मंदिरों में विधिवत पूजन-अर्चन कर सुख-समृद्धि की कामना की। शांतिधारा पूजन के बाद अनुयायियों ने संगीतमय प्रवचन में भाव-विभोर होकर भगवान की आराधना की। उत्तम शुचिता धर्म पर तत्वार्थ सूत्र का वाचन किया गया। जिसका प्रसारण लाइव कर अधिक से अधिक अनुयायियों तक लाभ पहुंचाया गया।

सोमवार को आनंदपुरी व जनरलगंज जैन मंदिर के साथ शहर के सभी जिनालयों में उत्तम शुचिता धर्म के लिए प्रार्थना व प्रवचन का आयोजन किया गया। पुष्पदंत दिगंबर जैन मंदिर स्वरूप नगर में अर्नव जैन व रोहन जैन ने भगवान पार्श्वनाथ का शांतिधारा पूजन किया। उनके साथ परंपरागत वेशभूषा में प्रवीन जैन, विपुल जैन, मोहित जैन, दिलीप जैन व श्रीपाल जैन ने भगवान की प्रार्थना की।

आराधना के बाद रायपुर से पधारे ज्योतिषाचार्य अजित शास्त्री ने तत्वार्थ सूत्र का वाचन करते हुए उत्तम शुचिता धर्म के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि बाहरी आचरण की शुद्धि का महत्व नहीं होता है। मनुष्य में भावों की शुद्धि होनी चाहिए। भावों की शुद्धि ही आत्मा को शांति पहुंचाती है। जब इंसान के अंदर लालच जन्म लेता है तभी उसकी सुख और संतुष्टि का अंत हो जाता है। लोभ का त्याग ही मानव में उत्तम शुचिता धर्म का पालन है। इस अवसर पर सभापति डा. अनूप जैन, मंत्री रोहन जैन, कोषाध्यक्ष रवि जैन, भंडार मंत्री सुनील जैन, कमल गंगवाल, रोहित जैन, अनूप जैन आदि उपस्थित रहे।

बच्चों ने किया भगवान का अभिषेक : सोमवार को शहर के ज्यादातर जिनालयों में उत्तम शुचिता धर्म का पालन बच्चों द्वारा किया गया। अनुयायी अनूप जैन ने बताया कि दसलक्षण महापर्व बच्चों को संस्कारवान बनाने में मददगार साबित हो रहा है।

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