Cyber Crime in Kanpur: साइबर अपराधियों ने युवती और इंजीनियर को बनाया ठगी का शिकार

डिजिटल लेन-देन के आधुनिक युग में साइबर क्राइम एक से निपटना एक बड़ी चुनौती है। साइबर ठग लोगों को शिकार बनाने के लिए तरह-तरह की तरकीबें अपना रहे हैं। कानपुर में इस बार चुन्नीगंज निवासी युवती और साफ्टवेयर इंजीनियर के ठगी की वारदात सामने आई है।

By Shaswat GuptaEdited By: Publish:Thu, 16 Sep 2021 11:15 PM (IST) Updated:Thu, 16 Sep 2021 11:15 PM (IST)
Cyber Crime in Kanpur: साइबर अपराधियों ने युवती और इंजीनियर को बनाया ठगी का शिकार
कानपुर में साइबर ठगी की खबर से संबंधित प्रतीकात्मक फोटो।

कानपुर, जेएनएन। साइबर अपराधियों ने चुन्नीगंज निवासी महिला के पिता के नाम पर मौजूद मोबाइल नंबर को रिचार्ज करने का झांसा देकर खाते से 33 हजार रुपये निकाल लिए। पीडि़ता ने कर्नलगंज थाने में मुकदमा दर्ज कराया है। पुलिस साइबर सेल की मदद से जांच कर रही है। 

चुन्नीगंज निवासी निधि गुप्ता ने पुलिस को बताया कि पिता रमेशचंद्र गुप्ता के निधन के बाद उनका सिमकार्ड वह खुद इस्तेमाल करने लगीं, ताकि उसमें इनकमिंग काल आती रहे। सितंबर को एक अन्जान नंबर से पिता के नंबर पर काल आई। फोन करने वाले ने खुद को कस्टमर केयर कर्मचारी राजू बताते हुए फोन नंबर रिचार्ज न कराने पर सिमकार्ड ब्लाक होने का डर दिखाया। इसके बाद आरोपित ने 10 रुपये का आनलाइन रिचार्ज करने के लिए कहा। भरोसा करके निधि ने आरोपित के कहने के अनुसार अपने गूगल पे एकाउंट से रिचार्ज किया। इसके बाद उनके खाते से कई बार में 33 हजार रुपये निकल गए। तुरंत निधि ने चुन्नीगंज स्थित अपने बैंक आफ बड़ौदा खाते को होल्ड कराकर कर्नलगंज थाने में तहरीर दी। थाना प्रभारी प्रभुकांत ने बताया कि साइबर सेल की मदद से आरोपित का पता लगाया जा रहा है। 

साफ्टवेयर इंजीनियर के खाते से निकाले 70 हजार रुपये: बिल्हौर के औरोताहरपुर गांव निवासी साफ्टवेयर इंजीनियर विवेक कुशवाहा के खाते से साइबर ठगों ने कई बार में 70 हजार रुपये निकाल लिए। पीडि़त ने काकादेव थाने में मुकदमा लिखाया है। विवेक ने बताया कि वह दिल्ली में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज कंपनी में इंजीनियर हैं। उनका खाता एचडीएफसी बैंक की काकादेव शाखा में है। बीती एक से सात सितंबर के बीच कई बार में उनके खाते से 70 हजार रुपये निकल गए, जबकि उन्होंने किसी को भी फोन या व्यक्तिगत तौर पर बैंक खाते या एटीएम आदि की कोई जानकारी नहीं दी थी। बैंक से स्टेटमेंट निकलवाने पर पता लगा कि पूरी रकम किसी सावित्री देवी के खाते में यूपीआइ के जरिए ट्रांसफर हुई है। इस पर उन्होंने थाने पहुंचकर रिपोर्ट लिखाई। 

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