सीएसजेएमयू के छात्र अब चीनी मिलों में कर सकेंगे इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग, जानिए- एनएसआइ में क्या हुआ करार
छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय शर्करा संस्थान मिलकर बायो लुब्रिकेंट्स के व्यवसायिक उपयोग व चीनी की न्यूट्रीटिव क्षमता बढ़ाने पर शोध करेंगे । वहीं विवि के छात्र-छात्राएं भी एनएसआइ के साथ चीनी मिलों में इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग करेंगे।
कानपुर, चंद्र प्रकाश गुप्ता। छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू) और राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एनएसआइ) के बीच अब शैक्षिक और तकनीकी आदान प्रदान शुरू होगा। दोनों संस्थानों के तकनीकी छात्र एक-दूसरे के यहां प्रशिक्षण लेंगे और शिक्षक भी संस्थानों में जाकर विद्यार्थियों को नवीनतम तकनीकी की जानकारी देंगे। इस बाबत दोनों संस्थानों के बीच करार (एमओयू) हो चुका है। गुरुवार को बैठक करके दोनों संस्थानों के अधिकारियों ने विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा की।
सीएसजेएमयू और एनएसआइ के बीच काफी समय से तकनीकी को बढ़ाने पर वार्ता हो रही थी। अब इसे अमली जामा पहनाया जा रहा है। इसके तहत दोनों संस्थानों के शिक्षक एक दूसरे के यहां जाकर छात्रों को पढ़ाएंगे। एनएसआइ में गन्ने की पैदावार, पेड़ों की मोटाई, लंबाई और उस पर मौसम के प्रभाव का आकलन होने के बाद विवि के कंप्यूटर साइंस विभाग के छात्र-छात्राएं एनएसआइ से डाटा जुटाकर व उसका एनालिसिस करके फसल का पूर्वानुमान लगाएंगे। यह किसानों के लिए भी काफी फायदेमंद साबित होगा। फसल को देखने के बाद किसान यह जान सकेंगे कि फसल पूरी तरह पकी है या नहीं। यही नहीं, विवि के केमिकल इंजीनियरिंग की ओर से बायो लुब्रिकेंट्स बनाया गया है, जिसका इस्तेमाल चीनी मिलों में भी होता है। अब इसके व्यावसायिक इस्तेमाल को बढ़ाने के लिए भी कार्य किया जाएगा।
इसी के साथ चीनी व गुड़ में विटामिन व मिनरल्स मिलाकर उसकी न्यूट्रीटिव वैल्यू (पोषकता) बढ़ाने पर भी शोध किया जाएगा। यह भी देखा जाएगा कि विटामिन व मिनरल्स मिलाने के बाद उसकी न्यूट्रीटिव वैल्यू कितनी देर तक रहती है। साथ ही विवि के मैकेनिकल, केमिकल और इलेक्ट्रिकल्स इंजीनियरिंग के छात्र-छात्राएं अब दो वर्ष का इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग प्रोग्राम एनएसआइ और इससे संबद्ध चीनी मिलों में कर सकेंगे। इससे उन्हें भी औद्योगिक कल कारखानों में प्रशिक्षण का बेहतर अनुभव मिलेगा।
-सीएसजेएमयू से संस्थान का करार हो चुका है। इसके तहत दोनों संस्थान एक दूसरे को एक्सचेंज आफ फैकल्टी, स्किल डवलपमेंट और तकनीकी में दक्ष बनाने में सहयोग करेंगे। बैठक में विवि के अधिकारियों के साथ कई बिंदुओं व कार्यक्षेत्रों के बारे में चर्चा हुई है। इसी सत्र से कार्ययोजना पर अमल शुरू हो जाएगा। -नरेंद्र मोहन, निदेशक, राष्ट्रीय शर्करा संस्थान