कानपुर में CSA विकसित करेगा चारे की नई प्रजातियां, अब तक 40 से अधिक फसलें हो चुकीं डेवलप
आइजीएफआरआइ के निदेशक डॉ विजय कुमार यादव ने बताया कि संस्थान की स्थापना सामाजिक आर्थिक और पर्यावरण में चारा और पशुओं की उत्पादकता के गुणवत्ता की दृष्टिकोण से की गई है। संस्थान ने अब तक 40 से अधिक चारा फसलों का विकास किया है।
कानपुर, जेएनएन। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) दलहन, तिलहन, शाकभाजी, फल आदि की कई नई प्रजातियां विकसित करने के बाद चारे पर काम करने जा रहा है। यहां के विशेषज्ञ चारे की नई प्रजातियां तैयार करेंगे। यह सब झांसी स्थित भारतीय चरागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान (आइजीएफआरआइ) के सहयोग से होगा। शनिवार को विश्वविद्यालय और संस्थान के अधिकारियों के बीच शोध, शिक्षक और प्रोजेक्ट को लेकर करार हुआ। सीएसए के कुलपति डॉ. डीआर ङ्क्षसह ने बताया कि पूर्व में भी संस्थान के सहयोग से गोल्डन जुबली फोरेज गार्डन की स्थापना की जा गई है। इसके अंतर्गत चारे की विकसित विभिन्न किस्मों एवं विकसित होने वाले जर्म प्लाज्म पर शोध कार्य संपादित किए जा रहे हैं। किसानों के लिए चारा उत्पादन के संबंध में विभिन्न एडवाइजरी जारी की जा चुकी हैं, जो पशु पालकों में काफी लोकप्रिय हुई। डॉ. ङ्क्षसह ने बताया कि एमओयू के बाद शिक्षा, शोध, प्रसार की गतिविधियों को नई दिशा मिलेगी। पशुपालकों को चारा उत्पादन के संबंध में नवीनतम तकनीक साझा होगी। आइजीएफआरआइ के निदेशक डॉ विजय कुमार यादव ने बताया कि संस्थान की स्थापना सामाजिक ,आर्थिक और पर्यावरण में चारा और पशुओं की उत्पादकता के गुणवत्ता की दृष्टिकोण से की गई है। संस्थान ने अब तक 40 से अधिक चारा फसलों का विकास किया है।