CSA Agriculture university: मैदान में उतरेगा पहाड़ों का बाग, वैज्ञानिक तलाश रहे संभावनाएं
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की उद्यान विभाग की नर्सरी में 40 पौधे लगाए गए हैं ये आकार में छोटे होंगे । इजराइल में पहले ही मैदानी सेब की प्रजाति को विकसित किया जा चुका है ।
कानपुर, जेएनएन। अब वह दिन दूर नहीं जब मैदानी खेतों में पहाड़ों के बाग नजर आएंगे, क्योंकि इजराइल की तर्ज पर चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने संभावनां तलाशनी शुरू कर दी है। सीएसए को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) ने नई प्रजाति के पौधे दिए हैं। सीएसए के वैज्ञानिक उन्हें मैदानी क्षेत्रों में उगाएंगे, सब कुछ सही राह तो मैदानी क्षेत्रों में सेब की पैदावार हो सकेगी। विश्वविद्यालय के उद्यान विभाग में पौधे लगा दिए गए हैं, इनकी टेस्टिंग शुरू हो गई है।
अभी सेब की फसल पहाड़ी क्षेत्रों में होती है और इसके बड़े बड़े बाग कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में है। वहां से सेब बिक्री के लिए देश भर में भेजे जाते हैं। जबकि इजरायल ने ग्रीन एप्पल की अन्ना प्रजाति विकसित की है, जिसे अब भारतीय मौसम और जमीनी क्षेत्रों में तैयार किया जा रहा है। आइसीएआर इसकी देश के अलग अलग हिस्सों में बुआई करके गुणवत्ता और उत्पादकता देख रही है। सीएसए के हार्टिकल्चर विभाग के विभागाध्यक्ष डा. वीके त्रिपाठी ने बताया कि उद्यान विभाग में हरे सेब 40 पौधे लगाए गए हैं। यह काफी मीठा रहता है। मैदानी क्षेत्रों में टेस्टिंग चल रही है। बेहतर परिणाम आने पर किसानों के लिए प्रजाति को हरी झंडी दिखाई जा सकती है। तीन साल में फल आने की उम्मीद है। एक सेब का वजन 150 से 200 ग्राम रहेगा।
एप्पल बेर के 28 पौधे लगाए : डा. त्रिपाठी के मुताबिक एप्पल बेर के 28 पौधे लगाए हैं। इसका आकार सेब जैसा रहता है। इसे लखनऊ से मंगवाया गया है। एप्पल बेर की खेती का प्रशिक्षण किसानों को दिया जाएगा। इसमें कीड़े लगने की आशंका भी कम है। अभी टेस्टिंग मोड पर हैं।
अंगूर की आठ प्रजातियां लगाईं : उद्यान विभाग में अंगूर की आठ प्रजातियां बोई गईं है। इनकी जांच भी जारी है। यह पूषा, उर्वशी, फ्लेम सीडलेस, पूषा अदिती, पूषा त्रिसर, ब्यूटी सीडलेस, पूसा स्वर्णिका, पूषा नवरंग हैं।