कालिंदी तट पर घडिय़ालों ने फिर की नेस्टिंग, अठखेलियां करने लगे नन्हे घडिय़ाल

Chambal Sanctuary कुनबा बढ़ाने के लिए घडिय़ाल को भाया कालिंदी तट साफ पानी और रेत के ऊंचे टीले वाले जंगली इलाके में मादा देती है अंडे और नर घडिय़ाल रखवाली करते हैैं।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Mon, 22 Jun 2020 10:52 PM (IST) Updated:Mon, 22 Jun 2020 10:52 PM (IST)
कालिंदी तट पर घडिय़ालों ने फिर की नेस्टिंग, अठखेलियां करने लगे नन्हे घडिय़ाल
कालिंदी तट पर घडिय़ालों ने फिर की नेस्टिंग, अठखेलियां करने लगे नन्हे घडिय़ाल

इटावा, [गौरव डुडेजा]। देश की सर्वाधिक प्रदूषित नदियों में शुमार यमुना के तटीय इलाके घडिय़ालों को भाने लगे हैैं। लगातार दूसरे वर्ष घडिय़ालों ने इटावा के तटीय इलाके में नेस्टिंग कर अंड दिए। अब नन्हे घडिय़ाल यमुना में अठखेलियां करने उतरने लगे हैैं। इस बदलाव का कारण बीते साल चंबल का जलस्तर लगातार यमुना से ऊंचा रहना और लॉकडाउन में यमुना में घुलित ऑक्सीजन की मात्रा बढऩा माना जा रहा है। वहीं, चंबल के साफ पानी में प्रकृतिवास करने वाले घडिय़ालों के कुनबे को इटावा के भाऊपुरा में देखकर माना जा रहा है कि साफ यमुना घडिय़ालों के प्रजनन का केंद्र बन सकती हैैं।

चंबल सेंक्चुअरी की बजाए यमुना की तरफ आए घड़ियाल

यमुना नदी का पानी आगरा के बटेश्वर के बाद साफ होना शुरू हो जाता है। इटावा का भाऊपुरा गांव बटेश्वर के बाद पड़ता है, इसलिए यहां यमुना अपेक्षाकृत साफ हैैं। वहीं, पिछले वर्ष चंबल का जलस्तर लगातार यमुना से ऊंचा रहा। इससे यमुना का पानी पचनद की तरफ नहीं जा पाया और घडिय़ाल सेंक्चुअरी के बजाए यमुना की तरफ आ गए। यमुना में प्रदूषण भी कम रहा।

भाऊपुरा का जंगली इलाका, ऊंचे रेतीले टीले और साफ पानी मिलने पर मादा घडिय़ालों ने मई माह के प्रजननकाल में यहां करीब दर्जन भर नेस्टिंग कर चार दर्जन से अधिक अंडे दिए। नर घडिय़ाल उनकी रखवाली करते रहे। अब अंडों से बच्चे निकल चुके हैैं। 15 जून को वन विभाग ने यहां 43 बच्चे देखे थे। इनमें से दो की मौत हो चुकी है। वन दरोगा ताबिश अहमद ने बताया कि ग्रामीणों की मदद से यहां रखवाली की जा रही है। वहीं, यह पहला मौका नहीं है, जब घडिय़ालों ने यमुना में प्रजनन किया हो। वर्ष 2011 में हरौली गांव और 2019 में शहर से लगे सुनवारा गांव में घडिय़ाल प्रजननकाल बिता चुके हैैं।

साफ होगी यमुना तो बढ़ेगी जैव विविधता

भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के संरक्षण अधिकारी डा. राजीव चौहान का कहना है कि घडिय़ाल का प्रजनन बता रहा है कि यमुना के पानी की शुद्धता बढ़ रही है। यमुना को साफ रखा जाए तो वह जैव विविधता के संरक्षण का मॉडल साबित हो सकती है। केंद्रीय जल आयोग उदी केंद्र के अवर अभियंता खुशीराम मीना का कहना है कि लॉकडाउन में यमुना का जल साफ हुआ है। डीओ यानी घुलित आक्सीजन की मात्रा दो मार्च को 3.8 थी, जो 11 अप्रैल को 4.6 और एक जून को 5.8 पर पहुंच गई। प्रभागीय निदेशक सामाजिक वानिकी राजेश कुमार वर्मा का कहना है कि यमुना में घडिय़ाल का प्रजनन सुखद सूचना है।

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