चित्रकूट में किशोरी के हत्यारोपित को कोर्ट ने सुनाई आजीवन कारावास की सजा, पांच साल पहले हुई थी घटना

विशेष लोक अभियोजक पोक्सो तेजप्रताप सिंह ने बताया कि 29 अगस्त 2017 को एक व्यक्ति ने रैपुरा थाना में मुकदमा दर्ज कराया था कि उसकी 17 वर्षीय बेटी राजकीय बालिका इंटर कालेज में कक्षा दस की छात्रा थी। वह साइकिल से स्कूल पढऩे सुबह सात बजे गई थी।

By Shaswat GuptaEdited By: Publish:Wed, 22 Sep 2021 04:51 PM (IST) Updated:Wed, 22 Sep 2021 04:51 PM (IST)
चित्रकूट में किशोरी के हत्यारोपित को कोर्ट ने सुनाई आजीवन कारावास की सजा, पांच साल पहले हुई थी घटना
कोर्ट द्वारा सुनाई गई सजा से संबंधित प्रतीकात्मक फोटो।

चित्रकूट, जेएनएन। अनुसूचित जाति के किशोरी के हत्या के मामले में आरोपित को अदालत ने आजीवन कारावास और एक लाख रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। मुल्जिम ने पांच साल पहले किशोरी को मारकर वाल्मीकि आश्रम के पहाड़ पर पेड़ में फंदे से लटका दिया था। चर्चित मामले का फैसला बुधवार को त्वरित न्यायालय पोक्सो एक्ट ने सुनाया है।

  विशेष लोक अभियोजक पोक्सो तेजप्रताप सिंह ने बताया कि 29 अगस्त 2017  को एक व्यक्ति ने रैपुरा थाना में मुकदमा दर्ज कराया था कि उसकी  17 वर्षीय बेटी राजकीय बालिका इंटर कालेज में कक्षा दस की छात्रा थी। वह साइकिल से स्कूल पढऩे सुबह सात बजे गई थी। दोपहर बाद घर नहीं लौटी तो खोजबीन शुरू किया। सहेलियों ने बताया कि साइकिल रास्ते में खराब हो गई थी तो वह उनके  साथ स्कूल चली गई थी। राजापुर में भतीजे ने बताया कि उसे राजबहादुर और एक  अन्य व्यक्ति जबरदस्ती पकड़ कर बाइक में बैठाकर छीबों की ओर ले गए हैं। पीडि़त पिता को शाम करीब तीन बजे पुलिस से सूचना मिली की वाल्मीकि आश्रम लालापुर पहाड़ में उसकी बेटी पेड़ पर फंदे में लटकी है। पहुंच कर उन्होंने शिनाख्त किया। पिता का आरोप था कि राजबहादुर ने साथी के साथ मिलकर बेटी की हत्या की और साक्ष्य छिपाने के लिए फंदे पर लटका दिया। 

अभियोजक ने बताया कि पुलिस ने हत्या, दुष्कर्म समेत पाक्सो व अनुसूचित जाति एक्ट में आरोप पत्र तैयार कर न्यायालय में पेश किया था। साक्ष्य एवं गवाह के आधार पर न्यायाधीश विनीत नारायण पांडेय अपर सत्र न्यायधीश एफटीसी न्यू/रेप केस एवं पोक्सो एक्ट ने आरोपित राजा उर्फ राजबहादुर पुत्र दसुवा निवासी भाऊपुरवा मजरा हरदौली थाना राजापुर को हत्या के मामले दोष सिद्ध पाया। जबकि अन्य धाराओं में दोष सिद्ध नहीं हो सका। 

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