Our Warriors: मातृत्व से पहले निभा रहीं फर्ज, दुधमुंही बेटी से दूरी बना मरीजों की देखभाल

रसूलाबाद के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कहिंजरी में कार्यरत एएनएम ने अपनी दुधमुंही बेटी को मां के पास छोड़कर खुद की मरीजों की देखभाल में जुटी हैं। वह कोरोना से बचाव के लिए टीकाकरण अभियान में अपनी जिम्मेदारी को पहले पूरा कर रही हैं।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Thu, 15 Apr 2021 12:16 PM (IST) Updated:Thu, 15 Apr 2021 05:06 PM (IST)
Our Warriors: मातृत्व से पहले निभा रहीं फर्ज, दुधमुंही बेटी से दूरी बना मरीजों की देखभाल
बिटिया को मां के पास छोड़कर टीकाकरण अभियान में जुटी एएनएम।

कानपुर, [अनुराग मिश्र]। पिछले साल लॉकडाउन शुरू होने पर बिटिया महज 11 माह की थी, उसे मां की देखभाल की जरूरत थी लेकिन सहायक नर्स मिडवाइफ (एएनएम) पूजा बाजपेयी को ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों की फिक्र थी। बिटिया को मां को सौंपकर सुबह से गांव-गांव में महिलाओं-बच्चों, बुजुर्गों का ख्याल रखा और समय से दवाएं पहुंचाईं। अब कोरोना ने फिर सिर उठाया है तो संजीदगी से वैक्सीनेशन में जुटी हैैं और कोरोना से बचाव की सलाह भी दे रही हैैं।

केशवपुरम निवासी राजनारायण बाजपेयी की पुत्री पूजा कानपुर देहात के रसूलाबाद ब्लाक के कहिंजरी के बरईझाल स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एएनएम हैैं। उनके पति आशुतोष भी कानपुर देहात में ही सर्विस करते हैैं। 29 अप्रैल 2019 को पूजा ने पुत्री को जन्म दिया। बेटी की देखभाल कर ही रही थीं कि इसी बीच मार्च में लॉकडाउन हो गया। इसके बाद बेटी को अपनी मां शशि बाजपेयी के सिपुर्द कर उन्होंने ड्यूटी ज्वाइन की। इस दौरान जुकाम-बुखार, डिहाइड्रेशन पीडि़त मरीजों की देखभाल कर उन्हें समय-समय पर इलाज मुहैया कराती रहीं।

इस दौरान बच्चों का नियमित टीकाकरण कार्यक्रम व अन्य स्वास्थ्य सेवाओं की जांच चलती रही। कई बार तो कानपुर लौटीं लेकिन घर में बेटी को खुद से दूर ही रखा। पूजा बताती हैैं कि बेटी देखकर पास आने की कोशिश करती थी लेकिन कोरोना के डर से उसे पास नहीं आने दिया। इस बीच कई बार खुद जुकाम-बुखार से पीडि़त हुईं तो कोरोना जांच कराई, हालांकि गनीमत रही कि रिपोर्ट निगेटिव ही आई।

जिंदगी की गाड़ी पटरी पर लौटने को थी कि अचानक फिर कोरोना ने सिर उठाया। अब तो जिम्मेदारी और बढ़ गई है। अब कोरोना से बचाव के लिए लोगों का टीकाकरण कर रही हैैं। पूजा कहती हैैं कि बिटिया 29 अप्रैल को ही दो साल की हो जाएगी लेकिन खतरे के चलते उसे गोद लेने की हिम्मत नहीं होती है। खतरा बहुत है लेकिन स्वास्थ्य सेवा देना भी जरूरी है। बहरहाल वह अपने काम को संजीदगी से अंजाम दे रही हैैं। उनका कहना है कि पहले जरूरतमंदों का उपचार फिर परिवार है।

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