अब रिसर्च बताएगी वैक्सीनेशन का सच, कानपुर वालों पर विशेषज्ञ पता लगाएंगे क्या हुआ असर
Covid Vaccination को लेकर तरह तरह की अफवाहें उड़ने से कुछ लोग हिचक रहे हैं। इसके चलते अफवाहों का सच सामने लाने के लिए अब कानपुर वालों पर वैक्सीनेशन को लेकर रिसर्च करने की तैयारी की जा रही है कि क्या असर हुआ है।
कानपुर, जेएनएन। वैक्सीनेशन को लेकर तमाम तरह की बातें हो रही हैं। कुछ लोग इसी ठीक मानते हैं तो कुछ वैक्सीन लगवाने में हिचक रहे हैं। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के साथ मिलकर एक शोध करने जा रहा है। इसमें यह पता लगाया जाएगा कि टीकाकरण का कानपुर वालों पर कितना असर पड़ा है और उड़ने वाली अफवाहों का सच क्या है।
फ्रंट लाइन कोरोना योद्धाओं के टीकाकरण के बाद कानपुर में कोरोना संक्रमण रोकने के लिए वैक्सीनेशन की शुरुआत एक मार्च 2021 से हुई थी। इस दूसरे चरण में 60 साल से ज्यादा उम्र वालों और गंभीर बीमार लोगों को वैक्सीन लगवाई गई, जबकि एक मई से शुरू तीसरे चरण में 18 से 45 साल के युवाओं को वैक्सीन लगाई जा रही है। अपर निदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण डॉ. जीके मिश्रा ने बताया कि राष्ट्रीय स्तर पर तैयार आंकड़ों में दावा किया जा रहा है कि वैक्सीन लगवाने से संक्रमण को रोकने में सहायता मिली है और जिसे वैक्सीन लगी, उसे संक्रमण कम हुआ। अब यही कवायद जिला स्तर पर भी की जाएगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ के साथ के साथ मिलकर एक शोध गुरुवार से शुरू किया गया है, जिसमें यह पता लगाने की कोशिश की जाएगी कि टीकाकरण का कानपुर वालों की सेहत पर क्या प्रभाव पड़ा।
उन्होंने बताया कि फिलहाल पहले चरण में ऐसे संक्रमित मरीजों का डाटा जुटाया जा रहा है, जो कि टीकाकरण कराने के बाद संक्रमित हुए। देखा जाएगा कि कितने लोग पहला टीका लगने के बाद संक्रमण की चपेट में आए और कितने दूसरा टीका लगने के बाद बीमार पड़े। टीकाकरण से उनके संक्रमण के बीच कितने दिन लगे। इसके अलावा सभी संक्रमित मरीजों के क्लीनिकल लक्षण भी देखे जाएंगे कि कितने मरीजों को बुखार या खांसी के प्रारंभिक लक्षण दिखाई दिए और कितने मरीज सीने में जकडऩ या अन्य कारणों से प्रकाश में आए। इसके अलावा यह भी देखा जाएगा कि ऐसे कितनेे मरीज है कि जिन्हें संक्रमित होने के बाद आक्सीजन या वेंटीलेटर की जरूरत पड़ी। स्वास्थ्य विभाग डब्ल्यूएचओ के साथ मिलकर ऐसे मरीजों पर शोध करने जा रहा है, जो कि पहली या दूसरी डोज लगने के बाद संक्रमित हुए। इन मरीजों में क्लीनिकल लक्षण देखकर निष्कर्ष निकाला जाएगा कि कानपुर वालों पर टीकाकरण कितना प्रभावी सिद्ध हुआ। - डॉ. जीके मिश्रा, अपर निदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण