Corona Third Wave: पांच साल तक के बच्चों को जरूरी नहीं मास्क, थाइमस ग्रंथि करेगी संक्रमण से सुरक्षा

कोरोना संक्रमण की संभावित तीसरी लहर से पहले स्वास्थ्य मंत्रालय ने बच्चों के बचाव और इलाज के लिए गाइडलाइन जारी की है। बच्चे के कोरोना संक्रमित होने पर स्टेरॉयड और रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाने में एहतियात की सलाह दी है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Sat, 12 Jun 2021 07:59 AM (IST) Updated:Sat, 12 Jun 2021 01:48 PM (IST)
Corona Third Wave: पांच साल तक के बच्चों को जरूरी नहीं मास्क, थाइमस ग्रंथि करेगी संक्रमण से सुरक्षा
कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर को लेकर सतर्कता।

कानपुर, [ऋषि दीक्षित]। कोरोना की तीसरी लहर अक्टूबर तक आने की आशंका है, इसमें 17 साल से कम उम्र के बच्चों को लेकर चिंता जताई जा रही है। स्वास्थ्य रक्षा के लिए कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच हर व्यक्ति को मास्क लगाने की सलाह दी जा रही है लेकिन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की नई गाइडलाइन में पांच साल से कम उम्र के बच्चों के लिए मास्क जरूरी नहीं बताया गया है। दरअसल बच्चों को बेहतर प्रतिरोधक क्षमता का तोहफा कुदरत से मिला है। 12 साल की उम्र तक बच्चों के गले में पाई जाने वाली थाइमस ग्रंथि (इम्यूनिटी का पावर हाउस) संक्रमण से उनकी रक्षा करेगी। इसके साथ ही संक्रमण की चपेट में आने पर स्टेरॉयड और रेमडेसिविर इंजेक्शन का उपयोग सिर्फ आपात स्थिति में ही किया जा सकेगा। 

बच्चों का ऊर्जा केंद्र है ग्रंथि

जीएसवीएम मेडिकल कालेज के माइक्रोबायोलाजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. विकास मिश्र बताते हैैं कि थाइमस ग्रंथि बच्चों का ऊर्जा केंद्र होती है। इसकी वजह से बच्चों को बीमारियों से लडऩे की क्षमता मिलती है। हालांकि गंभीर या अति गंभीर बीमार बच्चों में तो दिक्कत रहती ही है।

बच्चों का छह मिनट वाक टेस्ट कराएं

गाइडलाइन में बताया गया है। 12-17 आयु वर्ग के बच्चों का ऑक्सीजन सेचुरेशन (एसपीओटू) लेने को छह मिनट वाक टेस्ट कराएं। अंगुली में पल्स आक्सीमीटर लगाकर छह मिनट तक चलाएं, ताकि संक्रमण और शारीरिक स्थिति का पता चल सके। टेस्ट माता-पिता की देखरेख में हो। एसपीओटू 94 से कम होने पर सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। तत्काल अस्पताल में भर्ती कर आक्सीजन थेरेपी दिलाएं। अगर बच्चा अस्थमा पीडि़त है तो वाक टेस्ट न कराएं।

गंभीर स्थिति में ही स्टेरॉयड थेरेपी

गंभीर स्थिति में विशेषज्ञों की टीम बच्चों में स्टेरॉयड देने का निर्णय लेगी। उन्हेंं यह देखना होगा कि कब, कितनी मात्रा और कितने दिन स्टेरॉयड देनी है। ध्यान रहे, बच्चों के स्वजन स्टेरॉयड अपने मन से कतई न दें।

जरूरी होने पर ही सीटी स्कैन कराएं

कहा गया है कि बच्चों के इलाज में डाक्टर संजीदा रहें। फेफड़े में संक्रमण की स्थिति जानने को बहुत जरूरी होने पर सीटी स्कैन कराएं। जो दवाएं चलाएं, उनसे बीमारी की गंभीरता और शरीर को कितना नुकसान पहुंच रहा है, इसकी भी निगरानी करते रहें।

मास्क के लिए जरूरी

- 6-11 वर्ष के बच्चे को उसकी क्षमता के हिसाब से अभिभावक मास्क पहनाएं।

- 12 साल से अधिक उम्र के बच्चे वयस्कों की तरह की मास्क पहनें।

- साबुन और पानी से अच्छी तरह हाथ धुलाने के बाद मास्क पहनाएं।

- अल्कोहल बेस्ड सैनिटाइजर से भी हाथ साफ करके मास्क पहनाएं।

इसका करें पालन

- बिना लक्षण के संक्रमित बच्चों को कोई दवा न दें।

- बच्चों को स्वच्छता, हाथ साफ रखने की महत्ता बताएं।

- संक्रमण से बचाव के लिए एक-दूसरे से दूरी रखना बताएं।

- भोजन में पौष्टिक आहार देकर बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ाएं।

यह भी जानें

- बिना लक्षण के संक्रमितों को न चलाएं स्टेरॉयड।

- सामान्य-मध्यम लक्षण में स्टेरॉयड नुकसानदेह। केंद्र सरकार की नई गाइडलाइन में बिना लक्षण के कोरोना संक्रमित से लेकर आइसोलेशन वार्ड, पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट (पीकू) में भर्ती गंभीर मरीजों के इलाज के दिशा-निर्देश दिए हैं। बहुत जरूरी होने पर मेडिकल टीम विचार-विमर्श के बाद ही विशेषज्ञों की निगरानी में ही स्टेरॉयड का इस्तेमाल कराए। -डा. एके आर्या, प्रोफेसर, बाल रोग विभाग, जीएसवीएम मेडिकल कालेज।

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