Corona Crisis In Kanpur: अफसर नहीं उठा रहे मरीजों का फोन, अस्पताल में भर्ती होने के लिए लगानी पड़ रहीं सिफारिशें

Coronavirus Crisis In Kanpur विश्वनाथ सिंह का अचानक आक्सीजन लेवल कम होने से उन्हें तत्काल भर्ती करने की जरूरत पड़ी। मदद के लिए सुबह साढ़े आठ से साढ़े नौ बजे तक अलग-अलग अस्पतालों के प्रभारी बनाए गए एसीएम को फोन मिलाया।

By Shaswat GuptaEdited By: Publish:Thu, 22 Apr 2021 09:30 AM (IST) Updated:Thu, 22 Apr 2021 09:30 AM (IST)
Corona Crisis In Kanpur: अफसर नहीं उठा रहे मरीजों का फोन, अस्पताल में भर्ती होने के लिए लगानी पड़ रहीं सिफारिशें
इन महाेदय ने कोविड कंट्रोल रूम में फोन के रिसीवर को हटाकर अलग रख दिया और व्यस्त हो गए।

कानपुर, जेएनएन। Coronavirus Crisis In Kanpur कोरोना संक्रमण के बाद गंभीर मरीजों को किसी अस्पताल में भर्ती कराने के लिए तमाम पापड़ बेलने पड़ रहे हैं। सिफारिशें लगानी पड़ रहीं हैं। इसके बाद भी कोई गारंटी नहीं है कि भर्ती कर ही लिया जाएगा। इधर से उधर भटकना नियति बन चुकी है। कारण, ये सिर्फ दावा है कि बेड खाली हैं।

बुधवार सुबह कृष्णापुरम निवासी विश्वनाथ सिंह का अचानक आक्सीजन लेवल कम होने से उन्हें तत्काल भर्ती करने की जरूरत पड़ी। मदद के लिए सुबह साढ़े आठ से साढ़े नौ बजे तक अलग-अलग अस्पतालों के प्रभारी बनाए गए एसीएम को फोन मिलाया। उनमें से कुछ के फोन नहीं उठे तो कुछ के बिजी ही बताते रहे। एसीएम-1 और एसीएम-2 से बात हो पाई। कृष्णा हास्पिटल, मरियमपुर और प्रिया हास्पिटल में बेड खाली होने की बात बताई गई। नगर निगम के कंट्रोल रूम से बात कर भर्ती कराने को कहा गया। कंट्रोल रूम से बात करने पर जवाब मिला कि एक बार एसीएम से फिर कन्फर्म कर लें कि जो अस्पताल बताए हैं, उनमें बेड खाली हैं या नहीं। दोबारा एसीएम को फोन मिलाने पर फोन नहीं उठा। करीब एक घंटे के दौरान कई बार फोन किया गया पर बात नहीं हो पाई। इस बीच विश्वनाथ की तबीयत लगातार बिगडऩे से स्वजन काफी परेशान रहे। उन्हें कहां भर्ती कराएं, कोई रास्ता नहीं दिख रहा था। मोतीझील स्थित एक निजी अस्पताल में बेड खाली होने की जानकारी पर स्वजन उन्हें लेकर पहुंचे। वहां अस्पताल वालों ने बेड फुल होने की बात कहकर लौटा दिया। बाद में किसी तरह चांदनी नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया। चांदनी में उनकी पत्नी पहले से ही भर्ती हैैं। वह भी कोरोना संक्रमित हैं। कुछ ऐसे ही शहर में प्रतिदिन दर्जनों मरीज और उनके तीमारदार भटकने को मजबूर हैं।

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