कानपुर में 76 साल की उम्र में योग के सहारे जीती कोरोना से जंग, जानिए इनकी पूरी कहानी
जमीन की खरीद व बिक्री में गिरावट आ गई थी लेकिन कफ्र्यू की समाप्ति के बाद एक बार फिर इसमें तेजी आई है। पहले जहां एक दिन में लगभग डेढ़ सौ बैनामे हो रहे थे वहीं अब हर दिन करीब 300 से ज्यादा सौदे हो रहे हैं।
कानपुर, जेएनएन। मधुमेह और उच्च रक्तचाप (हाई बीपी) से पीडि़त होने का मतलब शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) कमजोर है। ऊपर से अधिक उम्र और अगर कोरोना संक्रमण हो जाए तो जटिलताएं होना तय हैं। हालांकि बिना समय गंवाए व्यक्ति नियम-संयम से रहते हुए योग, प्रणायाम और आयुर्वेद को अपनाकर कोरोना से जंग जीत सकता है। ऐसा कर दिखाया है साकेत नगर निवासी 76 वर्षीय धनीराम दुबे ने।
धनीराम दुबे लंबे समय से मधुमेह, अर्थराइटिस और हाई बीपी से पीडि़त थे। चलना-फिरना कठिन था। 22 अप्रैल को वह कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गए। संक्रमण होने के बाद खांसी से बेदम होने लगे। सांस फूलने लगी। उनकी ऐसी हालत देखकर डाक्टर पुत्र मनोज दुबे ने पिता की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर कोरोना को हराने के लिए योग व आयुर्वेद का रास्ता चुना। भगवतदास घाट स्थित योगाचार्य व आयुर्वेदिक चिकित्सक डा. रङ्क्षवद्र पोरवाल से संपर्क किया। उनकी देखरेख में इम्युनिटी बढ़ाने के लिए विपरीत पद चालन, सुप्त वज्रासन, पक्षी आसन जैसे सरल और प्रभावशाली आसन का अभ्यास शुरू किया। तीन दिन में धनीराम की स्थिति में सुधार दिखने लगा। योगिक क्रियाओं से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होने लगी। एक सप्ताह में कोरोना से मुक्ति मिल गई। धनीराम बताते हैं कि सूक्ष्म योग, क्रिया आसन प्राणायाम, ध्यान और सूर्य नमस्कार की 12 अवस्थाओं का नियमित अभ्यास किया। विशेष प्रकार की आयुर्वेदिक चटनी के सेवन से कमजोरी, थकान और सांस फूलने की समस्या 24 घंटे में दूर हो गई। सप्ताह भर में पूरी तरह आराम मिल गया।
ऐसे बढ़ाई फेफड़ों की मजबूती व आक्सीजन लेवल : भुजंगासन में लंबी गहरी श्वांस भरने व छोडऩे से फेफड़े मजबूत हुए। अनुलोम विलोम में नाक के दोनों छिद्रों से बारी-बारी से सांस खींचने और छोडऩे से आक्सीजन लेवल बढ़ता गया। उज्जायी आसन से शरीर का तापमान नियंत्रित करने के साथ फेफड़ों की कार्य क्षमता को बढ़ाया। कपालभाति से फेफड़े, गले और नाक को साफ करते रहे, जिससे शरीर का रक्त संचार अच्छा होता गया।