मजहबी किताबों के कारोबार पर भी लगा कोराेना का ग्रहण, इस रमजान दस फीसद पुस्तकों की हुई बिक्री

रमजान शुरू होने से पहले ही मजहबी किताबों कुरआन शरीफ रेहल टोपी अरबी रुमाल आदि की दुकानों पर लोगों का तांता लगा रहता था। शहर में खरीद फरोख्त के लिए आसपास के जिलों से बड़ी संख्या में व्यापारी आते थे। रमजान में सबसे ज्यादा कुरआन का हदिया (भेंट) होता था।

By Shaswat GuptaEdited By: Publish:Fri, 07 May 2021 06:52 PM (IST) Updated:Fri, 07 May 2021 06:52 PM (IST)
मजहबी किताबों के कारोबार पर भी लगा कोराेना का ग्रहण, इस रमजान दस फीसद पुस्तकों की हुई बिक्री
रमजान में सबसे ज्यादा कुरआन शरीफ हदिया (भेंट) किया जाता था।

कानपुर, जेएनएन। कोरोना के बढ़ते मामलों ने लगभग सभी उद्याेगों को प्रभावित किया है। कारोबारों की श्रेणी में एक व्यवसाय है मजहबी किताबों का, जिसका इन दिनों बुरा हाल है। रमजान में मजहबी किताबों की दुकानों पर लोगों का तांता लगा रहता था। बाहर से व्यापारी भी खरीद फरोख्त करने पहुंचते थे। इस वर्ष सिर्फ दस से पंद्रह फीसद ही कारोबार हो सका है। रमजान में सबसे ज्यादा कुरआन शरीफ हदिया (भेंट) किया जाता था। इस वर्ष इसमें भी काफी कमी आई है। अन्य मजहबी किताबों का भी यही हाल है।

रमजान शुरू होने से पहले ही मजहबी किताबों, कुरआन शरीफ, रेहल, टोपी, अरबी रुमाल आदि की दुकानों पर लोगों का तांता लगा रहता था। शहर में खरीद फरोख्त के लिए आसपास के जिलों से बड़ी संख्या में व्यापारी आते थे। रमजान शुरु होते ही सबसे ज्यादा कुरआन शरीफ का हदिया (भेंट) होता था। रमजान व इबादत से जुड़ी किताबों की काफी मांग बढ़ जाती थी। कोरोना संक्रमण की वजह से इस वर्ष इन कारोबार से जुड़े लोग काफी परेशान हैं। दुकानदारों का कहना है कि पिछले वर्ष लॉकडाउन की वजह से, इस वर्ष कोरोना के बढते संक्रमण की वजह से कारोबार पर बुरा असर पड़ा है। मजहबी किताबों के व्यापारी मूनिस सिद्दीकी बताते हैं कि इस वर्ष दस से पंद्रह फीसद ही खरीद फरोख्त हुई है। कोरोना के डर की वजह से दूसरे शहरों से बहुत कम व्यापारी आए हैं। बब्बू भाई बताते हैं कि रमजान में सबसे अधिक कुरआन शरीफ हदिया (भेंट) होता था। इस वर्ष एक चौथाई से भी कम लोगों ने हदिया किया है।

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