कानपुर में Oxygen की डिमांड के साथ ही अब कम हो रही मुसीबत, संक्रमण का भी घट रहा दायरा
हालांकि आक्सीजन 50 से 55 टन ही कानपुर को रोज मिल पा रही थी। इसके बाद मरीजों की संख्या कम होनी शुरू हुई। नए संक्रमित कम आने लगे और मरीजों के ठीक होने की संख्या ज्यादा रही। मंगलवार को सक्रिय मरीजों की संख्या 7461 रह गई यानी 39.69 फीसद।
कानपुर, जेएनएन। आक्सीजन की गिरती खपत व प्लांट के बाहर लगभग खत्म हो चुकी लाइन बता रही है कि हालात तेजी से सुधर रहे हैं। जहां 12 दिन पहले 125 टन आक्सीजन की मांग थी, वहीं अब 50 टन आक्सीजन भी पर्याप्त पड़ रही है। असल में जितनी तेजी से मरीज ठीक हुए, उतनी तेजी से आक्सीजन की खपत भी कम होती चली गई।
कानपुर में 29 अप्रैल को 18,800 सक्रिय संक्रमित मरीज थे। यह दूसरी लहर में सबसे ज्यादा सक्रिय मरीजों का आंकड़ा था। इसी समय मंडलायुक्त डॉ. राजशेखर ने अपर मुख्य सचिव (गृह) को लिखे पत्र में कहा था कि कानपुर शहर को 125 टन आक्सीजन की आवश्यकता है। उस समय आक्सीजन प्लांट के बाहर लंबी लाइनें लगी थीं और अस्पतालों में यह कह कर मरीज लौटाए जा रहे थे कि आक्सीजन वाले बेड नहीं हैं। मंडलायुक्त ने अपने पत्र में घर में इलाज करा रहे मरीजों में से करीब 30 फीसद मरीजों को आक्सीजन की जरूरत बताई थी। यह संख्या करीब पांच हजार थी।
हालांकि आक्सीजन 50 से 55 टन ही कानपुर को रोज मिल पा रही थी। इसके बाद मरीजों की संख्या कम होनी शुरू हुई। नए संक्रमित कम आने लगे और मरीजों के ठीक होने की संख्या ज्यादा रही। मंगलवार को सक्रिय मरीजों की संख्या 7461 रह गई, यानी 39.69 फीसद। इसका मतलब है कि 12 दिनों में 60 फीसद से ज्यादा संख्या कम हुई। मरीजों की संख्या कम हुई तो आक्सीजन की खपत भी कम होती चली गई। इस समय घरों में पांच हजार लोग अपना इलाज करा रहे हैं। इसका 30 फीसद निकालें तो करीब डेढ़ हजार लोगों को ही आक्सीजन की जरूरत है।
दो दिन पहले कानपुर को ट्रेन से आई 80 टन में से 55 टन आक्सीजन मिली थी। करीब 20 टन का स्टाक पहले से मौजूद था। मंगलवार को फिर ट्रेन से 40 टन आक्सीजन आ गई। इसके अलावा लोकल प्लांट भी कुछ आक्सीजन बना रहे हैं। 600 सिलिंडर आक्सीजन रोज रिमझिम इस्पात से आ रही है। लोहे की कङ्क्षटग या अन्य उद्योगों में आक्सीजन का जो इस्तेमाल होता था वह भी रुका हुआ है, इसलिए आक्सीजन की खपत तेजी से गिरी है। इन आंकड़ों की सत्यता का सुबूत अस्पतालों के बाहर घटी भीड़ और आक्सीजन प्लांट के बाहर छोटी हो गई लाइनें खुद ही दे रही हैं।