चीनी की किस्मों को लेकर चूजी हो गए उपभोक्ता
चीनी का उपयोग हर वर्ग का व्यक्ति करता है। इसके बिना चाय से लेकर लजीज व्यंजन बन ही नहीं सकते।
जासं, कानपुर: चीनी का उपयोग हर वर्ग का व्यक्ति करता है। इसके बिना चाय से लेकर लजीज व्यंजन बनाना एक सपना है। समय के साथ उपभोक्ता अब चीनी को लेकर बहुत चूजी हो चुका है। बाजार में अब केवल सफेद व पीले रंग की शक्कर नहीं मिलती है, बल्कि आइसिग शुगर, जिजर शुगर, लेमन शुगर, कॉफी शुगर व लिक्विड शुगर जैसी कई किस्मों की चीनी का इस्तेमाल होने लगा है। राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन व उप्र गन्ना अनुसंधान संस्थान में वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. प्रियंका सिंह ने ऐसी ही अनेक प्रकार की चीनी व उनके मानक पर पुस्तक लिखी है।
चीनी के राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मानकों को समेटते हुए लिखी गई 'शुगर एंड शुगर डेरीवेटिव्स: चेंजिग कंज्यूमर प्रेफ्रेंसेज' पुस्तक का मंगलवार को मंडलायुक्त डॉ. राजशेखर ने शर्करा संस्थान में लोकार्पण किया। पुस्तक के लेखक प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया कि चीनी खरीदने वाले अब असमान्य, विशिष्ट व निर्यातक तीन प्रकार के उपभोक्ता हो गए हैं। असमान्य उपभोक्ता आम आदमी होते हैं, जबकि विशिष्ट उपभोक्ता वह होते हैं जो पेय पदार्थ, दवाएं व बेकरी समेत अन्य उत्पादों में चीनी का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने पुस्तक में बताया है कि चीनी के राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मानक क्या हैं और समय में साथ उनमें किस तरह का बदलाव आ सकता है। उन्होंने इस पुस्तक के जरिए यह भी बताया है कि चीनी खाने से बीमारी की बात कितनी मिथक व कितनी सच है। चीनी के प्रकार की बात करें तो ब्रेकफास्ट, आर्गेनिक, ब्राउन शुगर, कैंडी शुगर व क्यूब इन सभी प्रकार की चीनी के लोग दीवाने हैं।