मेधावियों की पहली पसंद बनी कंप्यूटर साइंस
जेईई एडवांस्ड का परिणाम देखकर खुश हुए सफल अभ्यर्थी।
जागरण संवाददाता, कानपुर: जेईई एडवांस्ड के मेधावियों की पहली पसंद कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिग है। उसके लिए सफल छात्र-छात्राएं आइआइटी दिल्ली और बांबे में दाखिला लेना चाह रहे हैं। वहां एडमिशन न मिलने पर आइआइटी कानपुर से इंजीनियरिग कर सकते हैं। ज्यादातर मेधावी साफ्टवेयर, माडलिग, कोडिग और हैकिग में दक्ष होना चाहते हैं, जबकि कुछ स्टार्टअप करने का सपना देख रहे हैं। टापरों को कामयाबी पर स्वजन, रिश्तेदारों की ओर से बधाइयां मिल रही हैं।
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केवल खाना खाते समय देखते थे टीवी
जोन के टापर यश विरानी की सफलता का राज कठिन मेहनत, लगातार अभ्यास की आदत और इंटरनेट मीडिया से दूरी है। टीवी देखना भी सिर्फ खाना खाते समय ही हो पाता था। यश आइआइटी बांबे में कंप्यूटर साइंस में एडमिशन लेना चाहते हैं। पिता सुहास विरानी का तीन वर्ष पूर्व स्वर्गवास हो चुका है। मां सविता व्यवसायी हैं। बड़ी बहन साक्षी यूएसए में मल्टीनेशनल कंपनी में हैं। बारहवीं में 97.8 फीसद अंक आए थे।
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पहले गणित के सवालों से लगता था डर
आल इंडिया 84वीं रैंक हासिल करने वाले उत्कर्ष सिंह पहले गणित से बहुत डरते थे। उन्हें हर सवाल कठिन लगता था। धीरे-धीरे उसी कमजोरी को मजबूत किया। आइआइटी दिल्ली से कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिग करना चाहते हैं। कोडिग के क्षेत्र में बड़ा काम करने की इच्छा है। पिता विजय सिंह रेलवे में हैं, जबकि मां गुंजन गृहणी हैं। 12वीं में 97.4 फीसद अंक आए।
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जानकारी के लिए वाट्सएप का इस्तेमाल
कानपुर जोन के तीसरे टापर मलिक हमद फैसल ने स्वयं को इंटरनेट मीडिया से दूर रखा। सिर्फ जानकारी के लिए वाट्सएप का इस्तेमाल किया। आइआइटी दिल्ली से कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई करना चाहते हैं। पिता मो. फैसल कारोबारी हैं, जबकि मां नाजिश अफ्फान हाउस वाइफ हैं। 12वीं में 94 फीसद अंक हासिल किए।
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दसवीं के बाद से छोड़ा इंटरनेट मीडिया
आर्य नगर के पंकज झमतानी की आल इंडिया 1251 रैंक आई है। वह कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिग से बीटेक करना चाहते हैं। उनके मुताबिक दसवीं के बाद से इंटरनेट मीडिया को छोड़ दिया। 12वीं में 96.5 फीसद अंक मिले। पिता मुकेश झमतानी व्यापारी और मां नीता झमतानी गृहणी हैं।
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कामयाबी के लिए मेहनत जरूरी
आर्य नगर के रचित गुप्ता की 1484 रैंक आई है। उनके मुताबिक कामयाबी के लिए मेहनत जरूरी है। उन्होंने सफलता हासिल करने के लिए प्रेक्टिस सेट लगाए। कंप्यूटर साइंस और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिग से बीटेक करने की सोच रहे हैं। पिता तरुण गुप्ता सीए और मांग रेनू हाउस वाइफ हैं।
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सही राह पर चलकर हुआ सफल
आजाद नगर निवासी संचित अवस्थी की 2122 रैंक आई है। वह साफ्टवेयर इंजीनियर बनना चाहते हैं। पिता धर्मेंद्र अवस्थी सरकारी स्कूल में प्रधानाचार्य और मां नीलम अवस्थी गृहणी हैं। 12वीं में 95.8 फीसद अंक हासिल किए। संचित के मुताबिक वह शिक्षकों के दिखाए मार्ग पर चलकर सफल हुआ है।
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रोजाना सात से आठ घंटे की पढ़ाई
सिविल लाइंस के सचिन जालान ने 1368 रैंक हासिल की। वह कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिग से बीटेक करने की सोच रहे हैं। रोजाना सात से आठ घंटे और परीक्षा के दौरान 10 घंटे तक पढ़ाई की। 12 वीं में 96 फीसद नंबर हासिल किए। पिता हेमंत कुमार जालान व्यापारी और मां रीता हाउस वाइफ हैं।