सुरक्षा के साथ जीवन रक्षा में जुटी कमिश्नरेट पुलिस

जेएनएन कानपुर आइए नए रिश्ते बनाएं रक्तदान कर जिदगी बचाएं। इसी स्लोगन के साथ कमिश्नरेट पुलिस काम कर रही है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 21 Jun 2021 01:50 AM (IST) Updated:Mon, 21 Jun 2021 01:50 AM (IST)
सुरक्षा के साथ जीवन रक्षा में जुटी कमिश्नरेट पुलिस
सुरक्षा के साथ जीवन रक्षा में जुटी कमिश्नरेट पुलिस

जेएनएन, कानपुर : आइए नए रिश्ते बनाएं, रक्तदान कर जिदगी बचाएं। इसी स्लोगन के साथ कमिश्नरेट पुलिस अब सुरक्षा के साथ जीवन रक्षा में भी अहम भूमिका निभा रही है। ब्लड बैंकों में कमी को देखते हुए पुलिस अधिकारियों ने हर सप्ताह एक थाने में रक्तदान शिविर आयोजित कराना शुरू किया है। इसी कड़ी में रविवार को पहला शिविर कोतवाली में आयोजित हुआ। जहां 18 पुलिस कर्मी और 33 आम लोगों ने आकर रक्तदान किया।

जीएसवीएम मेडिकल कालेज के ब्लड बैंक की प्रभारी डा. लुबना ने इस बाबत पुलिस अधिकारियों से बात की। इसके बाद पुलिस आयुक्त असीम अरुण ने प्रत्येक रविवार को शहर के एक थाने में रक्तदान शिविर आयोजित करने का फैसला लिया।

रविवार को कोतवाली में जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज ब्लड बैंक व पुलिस के प्रयास से इस अभियान की शुरुआत हुई। पुलिस आयुक्त ने बताया कि रक्तदान शिविर में 50 लोगों के रक्तदान का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन पहले ही दिन 51 लोग रक्तदान करने पहुंचे। इसमें 18 पुलिसकर्मी शामिल रहे। शिविर में करीब 85 लोग रक्तदान करने आए थे। क्राइम ब्रांच ने थानों को वापस लौटाई 18 विवेचनाएं, कानपुर : कमिश्नरेट पुलिस की क्राइम ब्रांच ने 18 विवेचनाएं वापस थानों को भेज दी हैं। यह फैसला पुलिस आयक्त के निर्देश पर डीसीपी क्राइम ने लिया है। जो मामले वापस किए गए हैं, उनमें अधिकांश धोखाधड़ी व छोटे मोटे साइबर ठगी के हैं। डीसीपी क्राइम सलमान ताज पाटिल ने बताया कि पहले थानों में फोर्स व विवेचकों की कमी थी, इसलिए अधिकांश उलझाऊ जांचों को क्राइम ब्रांच स्थानांतरित कर दिया जाता है। मगर कमिश्नरेट में क्राइम ब्रांच का मतलब शातिर अपराधियों को धर दबोचना है। उनका तंत्र ध्वस्त करना है। धोखाधड़ी के मामलों की विवेचना में वक्त अधिक लगता है। जबकि उसी वक्त का उपयोग अगर सक्रिय अपराधियों के खिलाफ किया जाए तो आम आदमी को ज्यादा राहत मिलेगी। ऐसे में पुलिस आयुक्त के निर्देश पर धोखाधड़ी और साइबर क्राइम के ऐसे मामले जिनमें जांच अभिलेखों की पड़ताल है, उन्हें वापस थानों में भेज दिया गया है। अभी तक क्राइम ब्रांच के पास 57 विवेचनाएं लंबित थी, जो कि घटकर अब 39 रह गई हैं। फरवरी 2009 से मई 2018 के बीच फजलगंज की मेसर्स फ्यूचर फार्मा नामक कंपनी के प्रपत्रों का प्रयोग करके शातिरों ने फ्यूरर फार्मा नामक कंपनी खोली थी। इसके बाद कंपनी का नाम बदलकर गोल्डन डेरीवेटिव रखा और इस कंपनी के जरिए सोने-चांदी की ट्रेडिग का कारोबार शुरू किया। इस मामले की विवेचना ईओडब्ल्यू से कराई जा सकती है। घरेलू हिसा पीड़ित पीड़िताओं से फीडबैक लेगी पुलिस, कानपुर : घरेलू हिसा से पीड़ित महिलाओं के लिए पुलिस कमिश्नरेट ने प्रबल प्रतिक्रिया के नाम से योजना तैयार की है। जिसमें पीड़ित महिलाओं के मोबाइल नंबरों का पंजीकरण किया जाएगा। पंजीकरण के बाद सेल में तैनात महिला पुलिसकर्मी एक मित्र और हमदर्द की तरह पीड़िताओं की समस्या सुनेंगी और उनका निराकरण कराएंगी। अगर जरूरत पड़ती है तो पुलिस प्रबल प्रतिक्रिया भी देगी। डीसीपी साउथ रवीना त्यागी ने बताया कि एक सेल का गठन किया गया है। जिसमें डीसीपी साउथ के साथ एक महिला सबइंस्पेक्टर और दो महिला कांस्टेबलों को तैनात किया गया है। जो पीड़िताओं की शिकायत सुनेंगी। जिन पीड़िताओं का मोबाइल नंबर 112 नंबर पर पंजीकृत किया जाएगा। उनका वीडियोकाल, फोन काल के जरिए 15, 30, 60 और 90 दिन या फिर राहत न मिलने तक लगातार फीडबैक लिया जाएगा। सेल पुलिस उपायुक्त महिला अपराध शिवाजी शुक्ल के पर्यवेक्षण में काम करेगी।

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