CM Yogi के सलाहकार का भाई बनकर अधिकारियों पर बना रहा था दबाव, कानपुर पुलिस ने सिखाया सबक

अजय कुमार सेठ नवंबर के पहले सप्ताह में अंधा कुआं चौराहे के पास चेकिंग कर रहे थे। इसी बीच उनके पास एक काल आया था। बात करने वाले ने खुद को भाजपा प्रवक्ता और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सूचना सलाहकार शलभमणि त्रिपाठी का छोटा भाई कृष्ण मूरत बताया था।

By Shaswat GuptaEdited By: Publish:Mon, 29 Nov 2021 04:25 PM (IST) Updated:Mon, 29 Nov 2021 04:25 PM (IST)
CM Yogi के सलाहकार का भाई बनकर अधिकारियों पर बना रहा था दबाव, कानपुर पुलिस ने सिखाया सबक
पुलिस द्वारा की जाने वाली गिरफ्तारी की खबर से संबंधित प्रतीकात्मक फोटो।

कानपुर, जागरण संवाददाता। बर्रा में मुख्यमंत्री के सलाहकार का भाई बनकर एक मामले में फोन करके पुलिस अधिकारियों पर दबाव बनाने के आरोपित को नौबस्ता पुलिस ने गिरफ्तार किया है। नौबस्ता पुलिस ने आरोपित से पूछताछ के बाद उसे बर्रा पुलिस के सुपुर्द किया है। बर्रा पुलिस आरोपित से पूछताछ कर रही है।

बर्रा थाना प्रभारी रहे अजय कुमार सेठ नवंबर के पहले सप्ताह में अंधा कुआं चौराहे के पास चेकिंग कर रहे थे। इसी बीच उनके पास एक काल आया था। बात करने वाले ने खुद को भाजपा प्रवक्ता और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सूचना सलाहकार शलभमणि त्रिपाठी का छोटा भाई कृष्ण मूरत बताया था। बात करने वाले ने केसरी देवी यादव नाम की महिला की रिपोर्ट दर्ज करने के लिए पैरवी करते हुए थाना प्रभारी पर अविलंब कार्रवाई करने का दबाव डाला था। बातचीत का तरीका अटपटा लगने पर थाना प्रभारी ने मुख्यमंत्री के सूचना सलाहकार से फोन पर बातचीत करके घटनाक्रम की जानकारी दी तो उन्होंने उसे फर्जी बताया। जिसके बाद उन्होंने डीसीपी साउथ और पुलिस आयुक्त असीम अरुण को मामले की जानकारी दी थी। बाद में पुलिस आयुक्त के आदेश पर गलत नाम बताकर दबाव बनाने, धोखधड़ी और सरकारी कार्य में बाधा डालने का मुकदमा दर्ज किया था। पुलिस सर्विलांस की मदद से आरोपित की तलाश में जुटी थी। उच्चाधिकारियों ने नौबस्ता पुलिस को गिरफ्तारी के लिए लगाया था। नौबस्ता पुलिस ने आरोपित को दबोचा है। आरोपित कृष्ण मूरत आजमगढ़ का रहने वाला है। आरोपित से पूछताछ कर उसे बर्रा पुलिस के सुपुर्द किया है।

पिटाई के बाद मिल गया था धंधा: पकड़े गए आरोपित ने बताया कि सपा शासन काल में गांव में उसका विवाद हुआ था। दूसरे पक्ष ने बुरी तरह से पीटा था। जिससे उसकी दोनों टांगे टूट गई थीं। कई माह अस्पताल में भर्ती होने के बाद उसने अपनी पैरवी करने के प्रयास किए, लेकिन सपा नेताओं ने दूसरे पक्ष की पैरवी करके उन्हें बचा लिया था। इस घटना के बाद आरोपित ने यह फर्जीवाड़ा शुरू किया। कभी नेता का करीबी तो कभी खुद अधिकारी बनकर लोगों की पैरवी करके उनसे रुपये वसूलता था।

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