चित्रकूट जुड़वा भाई हत्याकांड : 2019 के 24 फरवरी का दिन तपोभूमि के लिए था काला दिन, हर आंख में था आक्रोश
तेल व्यवसाई बृजेश रावत जुडवां बेटे प्रियांश व श्रेयांश की हत्या कर दी गई और उनके शव मर्का थाना क्षेत्र के गांव बाकल के पास यमुना नदी से मिले हैं। चित्रकूट के लोगों में उबाल आ गया था। व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठान बंद कर दिए थे।
चित्रकूट, जेएनएन। वर्ष 2019 के 24 फरवरी का दिन तपोभूमि के लिए काला दिन से कम नहीं थी। 12 दिन पहले अपहरण किए गए दो मासूम जुड़वा भाइयों के शव धर्मनगरी पहुंचे थे। जिसके बाद लोग उबल पड़े थे। कारण था कि 12 दिन तक रोज बच्चों के रिहाई को लेकर इंटरनेट मीडिया में अफवाह आती थी।
धर्मनगरी में जैसे ही यह खबर फैली थी कि तेल व्यवसाई बृजेश रावत जुडवां बेटे प्रियांश व श्रेयांश की हत्या कर दी गई और उनके शव मर्का थाना क्षेत्र के गांव बाकल के पास यमुना नदी से मिले हैं। चित्रकूट के लोगों में उबाल आ गया था। व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठान बंद कर दिए थे। आक्रोशित लोगों ने लामबंद होकर जानकीकुंड परिसर में धावा बोल दिया था। परिसर में पथराव और आगजनी थी। जिसके बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों की झड़प हुई थी। एमपी पुलिस प्रदर्शन कारियों को खदेड़ कर यूपी सीमा में छोड़ गई थी और सीमा सील कर दी था। करीब एक सैकड़ा प्रदर्शनकारियों पर मुकदमा भी एमपी पुसिस ने दर्ज किया था। उस दिन धर्मनगरी के घरों में बच्चों के गम में चुल्हे नहीं जले थे। जबकि पूरी धर्मनगरी पुलिस छावनी में तब्दील थी।
यूपी एमपी की एसटीएफ व पुलिस रही थी नाकाम : 12 फरवरी को बच्चों के अपहरण के बाद धर्मनगरी में सनसनी फैल गई थी। सीसीटीवी फुटेज में प्रियांश व श्रेयांश का बाइक सवार दो नकाबपोश बदमाशों ने स्कूल परिसर के अंदर से बस से उतारकर ले गए थे। घटना के बाद यूपी व एमपी पुलिस के अलावा एसटीएफ भी बच्चों की तलाश में जुटी थी। एसटीएफ ने चिह्नित चार अपहरणकर्ताओं में तीन को पकड़ कर शव बरामद किए थे। दोषी हत्यारोपित इतने क्रूर थे कि दोनों मासूम के हाथ पैर रस्सी व जंजीर से बांधकर जिंदा यमुना नदी में फेंक था।
एसटीएफ ने एक दिन पहले शाम तक बदल गए थे सुर : एसटीएफ ने तीन आरोपित को पहले दबोच लिया था। जिनकी निशानदेही पर बच्चों की बरामदगी के प्रयास कर रही थी। गुडवर्क से उत्साहित एसटीएफ ने एक दिन पहले सुबह दावा किया था कि बच्चे मुक्त हो रहे है। लेकिन शाम तक सुर बदल गए थे।