चित्रकूट में सैलानियों को आकर्षित कर रही 'शबरी जल प्रपात' की गर्जना, जानिए यहां के कुछ रोचक तथ्य
Chitrakoot Shabri Waterfall मारकुंडी थाना अंतर्गत जमुनिहाई-बंबिया जंगल में शबरी जल प्रपात स्थित है। बारिश के मौसम में यहां की त्रि-धाराएं माहौल को और भी मनोरम बना देती हैं। पहाड़ों में हो रही लगातार बारिश से तीन जल धाराएं इन दिनों पूरे वेग से नीचे गिर रही हैं।
चित्रकूट, जागरण स्पेशल। Chitrakoot Shabri Waterfall प्रभु श्रीराम की तपोभूमि में पयस्वनी नदी पर शबरी जल प्रपात साल भर आकर्षण की छटा बिखेरता है। आजकल त्रि-जलधारा के तेज रफ्तार से नीचे गिरने का मनोहारी दृृश्य किसी को मंत्रमुग्ध करने के लिए पर्याप्त है। वहीं यह जलराशि जमीं पर बादलों के होने का अहसास भी करा रही है। मारकुंडी थाना अंतर्गत जमुनिहाई-बंबिया जंगल में शबरी जल प्रपात स्थित है। बारिश के मौसम में यहां की त्रि-धाराएं माहौल को और भी मनोरम बना देती हैं। पहाड़ों में कई दिनों से हो रही लगातार बारिश से तीन जल धाराएं इन दिनों पूरे वेग से नीचे गिर रही हैं। इससे गर्जना के साथ का दृश्य और भी मनोहारी हो जाता है। इस दृश्य का लुत्फ उठाने के लिए अच्छी-खासी संख्या में पर्यटक व स्थानीय लोग यहां पहुंच रहे हैं। रविवार को छुटटी होने के कारण प्रपात में अच्छी खासी भीड़ रही।
श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट में पयस्वनी नदी पर शबरी जल प्रपात बारिश से और आकर्षक हो गया है।बारिश में यहां की त्रि-धाराएं नियाग्रा फाल की याद दिलाती है।इसे देखने काफी संख्या में पर्यटक पहुंच रहे।@JagranNews @ChitrakootDm @UPGovt #ShabriWaterfallhttps://t.co/Mf2pGSiGkV pic.twitter.com/3VFcIehLbk— amit singh (@Join_AmitSingh) August 2, 2021
बरदहा में बाढ़ से मानिकपुर-मझगंवा मार्ग ठप: मानिकपुर के पाठा क्षेत्र में लगातार हो रही बरसात से तहसील क्षेत्र के नदी-नाले उफान में हैं। बरदहा नदी की बाढ़ से एक दर्जन गांवों का तहसील के संपर्क टूट गया है। मानिकपुर- मझगवां मार्ग पूरी तरह से ठप है। टिकारिया रपटा मे आधा दर्जन मवेशी बह गए। ड्यूटी जा रहे रेलवे कर्मचारी भी वहां फंसे हैं। एसडीएम ने बताया कि चमरौहा, रानीपुर, कुबरी में बने रपटा में बाढ़ का पानी दो फीट ऊपर से बह रहा है। जिससे गिदुरहा , चमरौहा , पयासी पुरवा , कुबरी , मऊ गुरदरी , करौहा , कल्यानपुर , जारौमाफी आदि गांव प्रभावित है। वहीं मानिकपुर निही चरैया मार्ग व मानिकपुर मझगवां मार्ग के टिकारिया रपटा मे ऊपर पानी का बहाव तेज हो जाने से आवागमन बंद कर दिया गया है।
ऊंचाडीह मार्ग पर फंसी एंबुलेंस: रपटा के ऊपर पानी के तेज बहाव से ऊंचाडीह मार्ग भी बंद था। जिसमें प्रसव के लिए महिला को लेकर आ रही एंबुलेंस चार घंटे से फंसी रही। जब थोड़ा पानी कम हुआ तो चालक सावधानी के साथ एंबुलेंस को लेकर रपटा पार किया और प्रसूता का सीएचसी मानिकपुर में भर्ती कराया।
शबरी जल प्रपात के बारे में ये भी जानें: बारिश के बाद अगस्त से मार्च के बीच दृश्य मनोहारी, बाकी साल भर कभी भी देख सकते हैं। तत्कालीन डीएम डॉ जगन्नाथ सिंह ने खोजबीन कर 31 जुलाई 1998 को किया था इसका नामकरण। उत्तर प्रदेश में करीब 40 मीटर चौड़ाई में तीन जलराशियों वाला एकमात्र जलप्रपात होने की प्रबल संभावना। मारकुंडी से महज आठ किलोमीटर दूर स्थित, मानिकपुर रेलवे जंक्शन उतर कर पहुंचना आसान त्रि-जलधारा गिरने वाली जगह बना मंदाकिनी कुंड। मान्यता है कि यहीं प्रभु राम ने शबरी के बेर खाने के बाद कुंड में स्नान किया तो मंदाकिनी ने अपना अंश गिराया था। पाठा के जंगल में रहने वाले कोल-भील अपने को शबरी मैया का वंशज मानते हैं। बंबिया के जंगल में शबरी आश्रम भी है, जहां मकर संक्रांति को कोल-भीलों का मेला लगता है।