सरकारी विद्यालयों का बुरा हाल : कानपुर के Junior High School में बच्चे न आए तो शिक्षक घर पहुंचे बुलाने

बीएसए डा.पवन तिवारी ने बताया कि स्कूलों को निर्देशित किया गया कि तय समय पर ही सुबह 11.30 बजे तक बच्चों को मिडडे मील उपलब्ध करा दिया जाए। अगर कहीं स्कूल दो पालियों में संचालित हैं तो भी एक निश्चित समय पर ही एमडीएम दिया जाए।

By Akash DwivediEdited By: Publish:Tue, 24 Aug 2021 12:31 PM (IST) Updated:Tue, 24 Aug 2021 12:31 PM (IST)
सरकारी विद्यालयों का बुरा हाल : कानपुर के Junior High School में बच्चे न आए तो शिक्षक घर पहुंचे बुलाने
6 अगस्त से जहां नौवीं से 12वीं तक के छात्र स्कूल पहुंचे थे

कानपुर, जेएनएन। निजी व सरकारी स्कूलों में आनलाइन पढ़ाई तो हो ही रही थी। मंगलवार से आफलाइन पढ़ाई भी शुरू हो गई। 16 अगस्त से जहां नौवीं से 12वीं तक के छात्र स्कूल पहुंचे थे, 24 अगस्त से छठवीं से आठवीं तक के छात्र भी पहुंचे।

हालांकि सरकारी विद्यालयों का बुरा हाल रहा। उपस्थिति न के बराबर रही, जबकि निजी स्कूलों में 50 फीसद क्षमता के साथ बच्चों को बुलाया तो गया था, मगर 25 से 30 फीसद बच्चे ही स्कूल पहुंचे। उच्च प्राथमिक विद्यालय प्रतापपुर हरि के सहायक अध्यापक राकेश बाबू पांडेय ने बताया कि कुल 60 बच्चों में से चार बच्चे ही उपस्थित हुए। कई बच्चों को तो शिक्षक उनके घर पर लेने गए। इसी तरह कंपोजिट विद्यालय निराला नगर में शिक्षामित्र विवेक ने बताया कि स्कूल में पांच बच्चे ही उपस्थित रहे। वहीं, दिल्ली पब्लिक स्कूल कल्याणपुर में कोआॢडनेटर फरहान ने बताया कि कुल 1000 बच्चों में से 50 फीसद क्षमता के साथ छात्रों को बुलाया गया था। उन 50 फीसद में से महज 25 से 30 फीसद छात्र ही उपस्थित रहे।

तय समय पर होगा मिडडे मील का वितरण : बीएसए डा.पवन तिवारी ने बताया कि स्कूलों को निर्देशित किया गया कि तय समय पर ही सुबह 11.30 बजे तक बच्चों को मिडडे मील उपलब्ध करा दिया जाए। अगर कहीं स्कूल दो पालियों में संचालित हैं तो भी एक निश्चित समय पर ही एमडीएम दिया जाए।

अभिभावकों को सता रहा कोरोना का डर : भले ही प्रदेश में कोरोना संक्रमण की रफ्तार थमी है। जिले में भी सक्रिय केस न के बराबर हो गए। इसके बावजूद अभिभावकों को कोरोना का डर सता रहा है। जिले के 25 फीसद अभिभावक नहीं चाहते, कि उनके बच्चे स्कूल जाएं।

मास्क पहनकर आए और हाथों को किया सैनिटाइज : स्कूलों में मंगलवार सुबह जब बच्चे पहुंचे तो वह मास्क पहने हुए थे। कई छात्रों ने तो हाथों को सैनिटाइज भी किया।

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