नवजात में नीलापन मतलब हृदय रोग का संकेत
जन्म के समय बच्चे में नीलापन हृदय रोग का संकेत है। ऐसे बच्चों में आक्सीजन की कमी होने से मस्तिष्क भी प्रभावित हो सकता है। यह समस्या गर्भ के दौरान हृदय व रक्त वाहिनियों के पूर्ण विकसित न होने से होती है। यह कहना है कि जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. यशवंत राव का।
जागरण संवाददाता, कानपुर : जन्म के समय बच्चे में नीलापन हृदय रोग का संकेत है। ऐसे बच्चों में आक्सीजन की कमी होने से मस्तिष्क भी प्रभावित हो सकता है। यह समस्या गर्भ के दौरान हृदय व रक्त वाहिनियों के पूर्ण विकसित न होने से होती है। यह कहना है कि जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. यशवंत राव का। वह गुरुवार को एमबीबीएस फाइल ईयर के छात्रों को नीलापन (साइनोसिस) के बारे में बता रहे थे।
उन्होंने छात्र-छात्राओं से कहा कि सबसे पहले नवजात में नीलापन की समस्या को चिह्नित करना जरूरी है। उसके अनुसार बच्चे के इलाज की रूपरेखा तैयार करना है। इसमें सर्तकता और सावधानी जरूरी है। बच्चा जब गर्भ में होता है, उस समय दिल की संरचना में खराबी से दिल की बीमारी हो सकती है। कई मामलों में गर्भाशय और जन्म के फौरन बाद लक्षण नहीं दिखते हैं। ऐसे बच्चों के बड़े होने पर बीमारी का पता चलता है। इसलिए रोग के लक्षण जानना जरूरी है। हृदय संबंधी रोग का सबसे प्रमुख कारण नीलापन है। इसमें जन्म लेते ही नवजात के शरीर में गंदा एवं ताजा रक्त मिलकर प्रवाहित होने लगता है। इसकी वजह से मुंह, कान, नाखूनों और होठों में नीलापन दिखने लगता है। इसमें बच्चे में आक्सीजन की कमी हो जाती है। ऐसे बच्चों में दिल ठीक से काम न करने पर फेफड़े के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
श्वांस संबंधी समस्या
डॉ. राव के मुताबिक ऐसे नवजात को सास लेने में दिक्कत होती है। इसलिए यह सांस जल्दी-जल्दी लेते हैं। तेजी से श्वांस लेने और श्वांस लेने के दौरान आवाज भी आती है।
दूध पीने में परेशानी
जन्मजात हृदय रोग की समस्या वाले बच्चों का वजन तेजी से कम होता जाता है। इसकी मुख्य वजह दूध न पीना है। ऐसे बच्चे स्तनपान या दूध भी नहीं पी पाते हैं।