केमिकल इंजीनियर का हर पेशी पर बस यही सवाल, आखिर मेरा गुनाह क्या है?

चार माह से जेल में है इंजीनियर, पहले विवेचक ने भ्रूण हत्या की लगाई थी रिपोर्ट तो दूसरे ने फर्जी पाया मामला।

By AbhishekEdited By: Publish:Wed, 14 Nov 2018 12:46 PM (IST) Updated:Thu, 15 Nov 2018 10:54 AM (IST)
केमिकल इंजीनियर का हर पेशी पर बस यही सवाल, आखिर मेरा गुनाह क्या है?
केमिकल इंजीनियर का हर पेशी पर बस यही सवाल, आखिर मेरा गुनाह क्या है?

कानपुर (आलोक शर्मा)। जिन्हें सही और गलत का पैमाना तय करने का अधिकार मिला है जब वही बेगुनाह को अपराधी बनाने में जुट जाएं तो कानून भी इंसाफ करने में लाचार हो जाता है। ऐसा ही कुछ हुआ शहर के एक केमिकल इंजीनियर के साथ। चार माह से वह जेल में हैं। हर पेशी पर बस यही पूछता हैं, आखिर मेरा गुनाह क्या है? मामला बर्रा थाने से जुड़ा है।

बर्रा एमआइजी निवासी वीर बहादुर सिंह पेशे से केमिकल इंजीनियर हैं। वह शहर की एक प्रतिष्ठित फर्म में बड़े ओहदे पर काम भी करते थे। लेकिन मकान मालिक और किरायेदारी के विवाद ने उनकी शराफत पर कई दाग लगा दिए, जिसमें बर्रा थाने के विवेचक जितेंद्र प्रताप सिंह की भी भूमिका रही। दरअसल, वीर बहादुर सिंह के किरायेदार जयकरन सिंह की पत्नी पुष्पा देवी ने बर्रा थाने में 4 जनवरी 2018 को एक तहरीर दी और अपने साथ मारपीट होने का आरोप लगाया। कांशीराम ट्रामा सेंटर में मेडिकल कराया तो अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह दी गई। पुलिस ने रिपोर्ट आइपीसी की धारा 452 (घर में घुसकर हमला करना) 323 (मारपीट) 504 (धमकी) में दर्ज की। पांच दिन बाद 9 जनवरी को पुष्पा ने अल्ट्रासाउंड कराया।

घटना की विवेचना एसआइ जितेंद्र प्रताप सिंह को मिली। इस मामले में उन्होंने 18 जुलाई को वीर बहादुर को गिरफ्तार किया और 19 जुलाई को उक्त धाराओं के साथ 313 (भ्रूण हत्या) में चार्जशीट लगा दी। मां ऊषा सिंह ने बेटे को फर्जी फंसाने की शिकायत तत्कालीन एसएसपी अखिलेश कुमार से की, जिस पर 3 अगस्त को उन्होंने दोबारा विवेचना के आदेश दिए। जांच एसएसआइ आरके यादव को मिली। उन्होंने घटना के वक्त की सीसीटीवी फुटेज निकाली। महिला से गर्भवती होने के साक्ष्य मांगे।

इसके साथ ही घटना वाले दिन वीर बहादुर द्वारा किए गए 100 डायल की रिपोर्ट, मुख्यमंत्री और आइजी को ट्वीट की गई डिटेल निकाली। 28 अगस्त 2018 को उन्होंने जांच रिपोर्ट न्यायालय में सौंपी। जिसमें कहा गया कि उनके बीच मुंहाचाही तो हुई लेकिन अन्य आरोप निराधार हैं। पूरी घटना को फर्जी पाते हुए आइपीसी की धारा 504 (धमकी) में चार्जशीट दाखिल कर दी। इस पूरे मामले ने एक बात तो स्पष्ट कर दी है कि बिना किसी गुनाह के केमिकल इंजीनियर चार माह से जेल में हैं। इस संबंध में अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित का कहना है कि चार्जशीट पर न्यायालय ने संज्ञान ले लिया है। 504 जमानतीय अपराध है, इसमें आसानी से जमानत मिल जाएगी। 

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