Vikas Bhawan Kanpur: मातहत तो दूर सीडीओ भी समय से नहीं आते दफ्तर, 11 बजे तक खाली रहती कुर्सियां
विकास भवन में अधिकारी शासन की मंशा को पलीता लगा रहे हैं। यहां पर दस विभागों में सुबह 11 बजे तक कर्मचारियों और अफसरों की कुर्सियां खड़ी पड़ी थीं परिसर में गंदगी फैली थी। जबकि सुबह फरियादियों की समस्या सुनकर निस्तारण के निर्देश हैं।
कानपुर, जेएनएन। शासन की मंशा है कि सुबह साढ़े नौ बजे तक अफसर कार्यालय पहुंच जाएं, ताकि फरियादियों को समस्या न हो। हालांकि विकास भवन में शासन की मंशा को ही पलीता लगाया जा रहा है। मंगलवार को यहां 18 में से 10 विभागों के अधिकारी सुबह 10:30 बजे तक दफ्तर नहीं पहुंचे थे। यहां तक कि सीडीओ डा. महेंद्र कुमार भी 11 बजे आए। इस दौरान कोई फरियादी वहां नहीं था। अगर होता तो न सीडीओ से मिल पाता और न ही उद्यान अधिकारी, जिला कृषि अधिकारी जैसे महत्वपूर्ण अधिकारियों को अपना दर्द बता पाता।
स्थान : भूतल
समय : सुबह 10:02 बजे
सीडीओ डा. महेंद्र कुमार दफ्तर नहीं में नहीं पहुंचे थे। जिला पशु चिकित्सा अधिकारी, जिला ग्राम्य विकास अभिकरण परियोजना निदेशक कार्यालय में थे, लेकिन सहायक अभियंता उपस्थित नहीं थे। जिला विकास अधिकारी निलंबित हो चुके हैं तो उनका कार्यभार जिला ग्राम्य विकास अभिकरण के परियोजना निदेशक के पास है, लेकिन उनके स्टेनो की कुर्सी खाली थी। सीडीओ 11 बजे आए और फिर विकास कार्यों की बैठक करने लगे।
स्थान : प्रथम तल
समय : सुबह 10:10 बजे
जिला कार्यक्रम अधिकारी, जिला समाज कल्याण अधिकारी, जिला कृषि अधिकारी, उद्यान अधिकारी और परियोजना अधिकारी नेडा के कार्यालय की कुर्सियां खाली पड़ी थीं। जिला पंचायत राज अधिकारी शौचालयों के निर्माण की समीक्षा कर रहे थे। अर्थ संख्याधिकारी भी 10:15 बजे दफ्तर आईं।
स्थान : तृतीय तल
समय : सुबह 10:15 बजे
पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी, सहायक निदेशक मत्स्य , परियोजना अधिकारी डूडा मौजूद नहीं थीं। सहायक अभियंता लघु ङ्क्षसचाई, अधिशासी अभियंता ग्रामीण अभियंत्रण सेवा और युवा कल्याण अधिकारी कार्यालय में थीं। परियोजना अधिकारी डूडा के कार्यालय में सिर्फ दो कर्मचारी मौजूद थे। उपायुक्त स्वत: रोजगार के पास उपायुक्त मनरेगा का प्रभार है तो वह उनके दफ्तर में बैठे थे।
परिसर में गंदगी, सफाई नहीं होती
परिसर में पंजाब नेशनल बैंक की शाखा है। बैंक के सामने ही बड़े पैमाने गंदगी और कूड़े का ढेर लगा है। इसके साथ ही पोर्टिको के सामने दिव्यांगों के लिए बनाए गए शौचालय की रैंप और अंदर जनरेटर रखे हुए हैं। न तो वहां पानी की सुविधा है और न ही साफ सफाई। ऐसे में कोई दिव्यांग चाहकर भी शौचालय का उपयोग नहीं कर सकता। यहां कई अधिकारियों की गाडिय़ां वर्षों से कबाड़ बनीं पड़ी हैं। उनकी नीलामी नहीं हो रही है।