बच्चों को मोमो चैलेंज से बचाने के लिए सीबीएसई ने लिया चैलेंज
सीबीएसई के डायरेक्टर एकेडमिक्स की ओर से प्रधानाचार्यों को सर्कुलर जारी किया गया है। स्कूल में मोबाइल का प्रयोग कर रहे बच्चों की जानकारी रखने के निर्देश दिए हैं।
कानपुर (जागरण संवाददाता)। इंटरनेट और मोबाइल पर गेम्स खेलना बच्चों के भविष्य के लिए ठीक नहीं है। इनमें ब्लू व्हेल के बाद अब मोमो चैलेंज उनके लिए बेहद खतरनाक हो सकता है। इन गेम्स में फंसकर अक्सर बच्चे अवसाद में चले जाते हैं या फिर कोई गलत कदम उठा लेते हैं। इससे बच्चों को बचाने के लिए सीबीएसई ने चैलेंज लिया है और सभी स्कूलों को दिशा निर्देश भी जारी किए हैं।
क्या है मोमो चैलेंज
यह इंटरनेट टास्क गेम है, इसमें एक विचित्र चेहरे वाली गुडिय़ा है, जो गेम खेलने वाले से संवाद करते हुए नए-नए काम करने का फरमान सुनाती है। काम पूरा न करने की स्थिति में धमकी भी देती है, चैलेंज को पूरा नहीं कर पाने पर सजा देने की बात कहती है। इसका क्रम निरंतर जारी रहता है और सबसे अंतिम टास्क बेहद खतरनाक होता है, जिसमें गेम खेलने वाला फंस जाता है।
कौन है गेम की विचित्र डरावनी गुडिय़ा
मोमो चैलेंज गेम में दिखने वाली विचित्र गुडिय़ा की आंखें बड़ी और बेहद डरावनी है। यहीं डरावनी गुडिय़ा गेम खेलने वाले को टास्क देती है। एक जानकारी के मुताबिक यह गुडिय़ा जापानी डॉल है। इस आकृति को चर्चित कलाकार मिडोरी हयाशी ने बनाया है, जिसे मोमो का नाम दिया था। इसी आकृति वाली डॉल का गेम में इस्तेमाल किया गया है। हालांकि जब उनसे पूछताछ हुई थी तो उन्होंने गेम से किसी भी तरह से जुड़े होने की बात से इनकार किया था। इस विचित्र फोटो को मदर बर्ड लिंक फैक्ट्री कहा जाता है।
कैसे होती है गेम की शुरुआत
इलेक्ट्रानिक्स व आइटी मंत्रालय की ओर से जारी निर्देशों में बताया गया कि मोमो चैलेंज की शुरुआत वाट्सएप से होती है। अपरिचित कांटेक्ट के माध्यम से गेम का लिंक भेजा जाता है। पहले फेसबुक और अब वाट्सएप के माध्यम से यह गेम लोगों तक पहुंच रहा है। इसमें गेम खेलने वाले को फोन पर सबसे पहले कोई अनजान नंबर भेजा जाता है। इस नंबर को सेव करके हाय भेजने का चैलेंज मिलता है। यदि नंबर को सेव करके हॉय भेज दिया तो फिर एक नया नंबर देकर बात करने का चैलेंज दिया जाता है। इस नंबर को फोनबुक में सेव करने के बाद डरावनी फोटो और वीडियो क्लिप मिलना शुरू होता है। इस दौरान ही अलग-अलग टास्क दिए जाने लगते हैं और फिर इस गेम के जाल में फंसा लिया जाता है।
सीबीएसई ने क्यों जताई चिंता
स्मार्ट मोबाइल फोन और ऑनलाइन गेमों की बढ़ती आदत ने सीबीएसई की चिंता बढ़ा दी है। सीबीएसई ने सर्कुलर जारी कर अभिभावकों व शिक्षकों को इसके प्रति आगाह किया है। खासतौर पर 'मोमो चैलेंजÓ गेम लेकर। सर्कुलर के मुताबिक कुछ दिनों पहले 'ब्लू व्हेलÓ गेम खेलकर देश-दुनिया में कई बच्चों ने खुदकशी के कदम उठाने की कोशिशें की थीं। इसी तरह इस मोमो चैलेंज खेलने को लेकर बच्चे कोई प्रयास कर बैठें, इसके लिए सतर्क रहना होगा। बेहतर होगा कि उनकी ऑनलाइन गतिविधियों पर पैनी नजर रखी जाए।
शिक्षक रखें जानकारी, अभिभावकों से करें संवाद
सीबीएसई के डायरेक्टर एकेडमिक्स की ओर से प्रधानाचार्यों को निर्देश दिए गए हैं कि स्कूल में बच्चे मोबाइल का प्रयोग कर रहे हैं तो गतिविधियों की जानकारी शिक्षक करें। अभिभावकों से संवाद करें। सीबीएसई के सिटी कोआर्डिनेटर बलविंदर सिंह ने बताया कि अभिभावकों को इस खतरनाक गेम के संबंध में जानकारी देकर जागरूक करेंगे। बच्चों की काउंसिलिंग कर उन्हें इस गेम के नुकसान के प्रति जागरूक किया जाएगा।
गेम की वजह से अर्जेंटीना में हुई थी पहली मौत
इस गेम की वजह से अर्जेंटीना में पहली मौत हुई थी। गेम खेलने वाली एक बारह वर्षीय लड़की थी, जिसने टास्क का वीडियो बनाते हुए सुसाइड कर लिया था। वहां की पुलिस ने मामले की जांच शुरू की थी।
ये लक्षण दिखें तो हो जाएं सावधान
-बच्चा परिवार व दोस्तों से अचानक बात करना कम कर दे
-उदास और बुझे मन से रहने लगे, चेहरा उतरा-उतरा सा लगे
- छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करने लगे या चिड़चिड़ाने लगे
- शरीर पर अचानक से कोई कटे का निशान या धब्बा दिखाई दे
ऐसे करें बचाव
- बच्चे की ऑनलाइन व सोशल मीडिया एक्टीविटी को देखें
-मोबाइल पर मौजूद गेम देखेंं कि वे कौन से हैं
-मोबाइल पर किसी भी आमंत्रण को स्वीकार न करें
-ई-मेल और सोशल अकाउंट्स के पासवर्ड बदल सकते हैं।
-किसी अनजान नंबर से कोई इनवाइट मिले तो तुरंत उसको ब्लॉक कर दें।
-अभिभावक अपने बच्चों से बात करें और उन्हें समझने का प्रयास करें, जो उनके दिमाग में चल रहा हो वह बताएं।