संजीत हत्याकांड : सर्विलांस प्रभारी पर सीबीआइ का शिकंजा कसना तय, फिर बढ़ने लगीं दारोगा की मुश्किलें

कानपुर के बर्रा में संजीत की अहपरण के बाद हत्या के मामले में सर्विलांस टीम की लापरवाही सामने आने पर सीबीआई का शिकंजा कस सकता है। तत्कालीन एसपी साउथ और सिपाहियों का निलंबन हुआ था लेकिन एक दारोगा खुद को बचा ले गया था।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Tue, 26 Oct 2021 08:53 AM (IST) Updated:Tue, 26 Oct 2021 08:53 AM (IST)
संजीत हत्याकांड : सर्विलांस प्रभारी पर सीबीआइ का शिकंजा कसना तय, फिर बढ़ने लगीं दारोगा की मुश्किलें
संजीत हत्याकांड में लापरवाही पर सर्विलांस टीम पर शिकंजा।

कानपुर, [आशीष पांडेय]। संजीत अपहरण व हत्याकांड में अगर बात लापरवाही की हो तो सबसे ज्यादा जिम्मेदारी सर्विलांस टीम की तय होनी चाहिए। पूरे मामले में तत्कालीन एसपी साउथ टीम के सर्विलांस प्रभारी पद पर तैनात दारोगा बड़ी आसानी से पैरोकारी करके मामले को निपटा ले गए थे, लेकिन अब सीबीआइ जांच शुरू होने से उनकी मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। माना जा रहा है कि जल्द ही सीबीआइ की टीम तत्कालीन सर्विलांस प्रभारी से पूछताछ करेगी और उन पर कार्रवाई होना तय है।

बर्रा पांच निवासी लैब टेक्नीशियन संजीत यादव के अपहरण और हत्या के मामले में सीबीआइ ने जांच शुरू कर दी है। जांच के दायरे में तत्कालीन सर्विलांस प्रभारी दारोगा शिवराम सिंह भी हैं। वैसे तो वह खुद को सर्विलांस का मास्टर मानते हैं, लेकिन इस मामले में उनकी गलती की सजा तत्कालीन एसपी साउथ से लेकर 11 पुलिसकर्मियों को भुगतनी पड़ी। खास बात यह थी कि 29 जून को पहली बार फिरौती के लिए काल आई तब एसपी साउथ रहीं अपर्णा गुप्ता ने पूरे मामले की जानकारी डीआइजी को दी थी।

फिरौती को लेकर 20 जून से 16 जुलाई तक अपहर्ताओं ने भोगनीपुर, घाटमपुर, चकरपुरमंडी समेत छहस्थानों से एक ही नंबर से 26 काल कीं। मोबाइल नंबर चलता रहा, लेकिन सर्विलांस प्रभारी उन्हें ट्रेस नहीं कर पाए। बात बिगडऩे के बाद जब जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों के निलंबन की कार्रवाई शुरू हुई तो सेटिंग कर उन्होंने किसी तरह निलंबन से खुद को बचा लिया और सर्किल के ही एक थाने गोविंद नगर में तबादला करा लिया था। हालांकि अभी भी उनका मोह भंग नहीं हुआ है। अक्सर उनको डीसीपी दफ्तर में बैठे देखा जाता है। सीबीआइ जल्द ही सर्विलांस प्रभारी रहे दारोगा से पूछताछ करने की तैयारी कर रही है।

यहां पर हुई बड़ी चूक : तत्कालीन सर्विलांस प्रभारी इस ओर गौर न करके फिरौती वाले नंबर की बदलती लोकेशन पर फोकस करकेसंबंधित टावर का बीटीएस डंप कराते रहे। छह अलग अलग लोकेशन का बीटीएस डंप होने के बाद वह उसी में उलझ कर रह गए।

ऐसे करना था काम

-फिरौती वाले नंबर के समानांतर चलने वाले नंबरों को सर्विलांस टीम को तलाशना चाहिए था।

-समानांतर चल रहे नंबरों के कामन नंबरों को निकालना चाहिए था

-कामन नंबरों के बीच से कुछ संदिग्ध नंबरों को निकाल कर उन पर काम करना चाहिए था।

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