DGQA Recruitment Scam: सीबीआइ को मिले अहम सुबूत, सामने आया पीठासीन अधिकारी का खेल

रक्षा मंत्रालय के गुणता आश्वासन महानिदेशालय में छह लिपिकों की नियुक्ति के मामले में सीबीआइ की एंटी करप्शन विंग ने जांच का शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। पीठासीन अधिकारी द्वारा दफ्तर में उत्तर पुस्तिकाएं रखवाने की बात सामने आई है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Tue, 19 Jan 2021 10:57 AM (IST) Updated:Tue, 19 Jan 2021 10:57 AM (IST)
DGQA Recruitment Scam: सीबीआइ को मिले अहम सुबूत, सामने आया पीठासीन अधिकारी का खेल
रक्षा मंत्रालय के गुणता आश्वासन महानिदेशालय में लिपिक भर्ती का मामला।

कानपुर, जेएनएन। रक्षा मंत्रालय के गुणता आश्वासन महानिदेशालय (डीजीक्यूए) में छह लिपिकों की भर्ती घोटाले में सीबीआइ को कई अहम सुबूत मिले हैं। इन साक्ष्य के आधार पर मुकदमा दर्ज होने के बाद अब इस घोटाले में शामिल अधिकारियों व कर्मचारियों पर शिकंजा कसने लगा है। 

सीबीआइ की एंटी करप्शन विंग ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि चयन बोर्ड के पीठासीन अधिकारी डॉ. एसके तिवारी ने लिखित परीक्षा के बाद अभ्यर्थियों की उत्तर पुस्तिकाएं नियम विरुद्ध तरीके से अपने कार्यालय में रखवाकर पूरा खेल किया था। उस दौरान उनके कक्ष में एक बाहरी सदस्य भी था जबकि उत्तर पुस्तिकाओं का मामला गोपनीय होता है।

चार साल पहले लिपिक के छह पदों के लिए निकाले गए विज्ञापन पर 4181 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। इसमें से 952 अभ्यर्थी लिखित परीक्षा के लिए पात्र पाए गए। उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के आधार पर टाइपिंग टेस्ट के लिए 110 उम्मीदवारों को योग्य करार दिया गया। अंत में रविकांत पांडेय, उत्कर्ष श्रीवास्तव, आरती गुप्ता, प्रतिभा मिश्रा व अर्पित सिंह चयनित हुए। सीबीआइ ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि इनमेें से एक अभ्यर्थी अर्पित सिंह को दिव्यांग प्रमाणपत्र के बगैर परीक्षा देने का पात्र बना दिया गया। इसके अलावा चयनित अन्य अभ्यर्थियों के उत्तर में टेंपरिंग कर अंक बढ़ा दिए गए। अर्पित के अंक 58 से बढ़ाकर 69, आरती गुप्ता के 68 से 70 व विवेकचंद्र के 52 से 61 अंक किए गए।

चयन बोर्ड को भी रखा गया दूर

सीबीआइ ने चयन बोर्ड में शामिल सहायक अभियंता सुनील कुमार, मोहम्मद अलीम व कर्नल एके गांधी से जब पूछाताछ की तो उन्होंने बताया कि परीक्षा के बाद उन्हें दूर रखा गया। चयन बोर्ड के पीठासीन अधिकारी डॉ. तिवारी ने परीक्षा के बाद संपर्क नहीं किया। चयन प्रक्रिया में भी शामिल नहीं किया गया। मनचाहे तरीके से परिणाम जारी किए गए। वहीं, दूसरी ओर परीक्षा परिणाम घोषित होने के बाद इस मामले में तत्कालीन नियंत्रक व वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी देवकीनंदन ने शक होने पर तत्कालीन प्रशासनिक अधिकारी से जांच लिए कहा था। जांच में यह बात सामने आई थी कि रिश्तेदारों को नौकरी देने के लिए यह सारा खेल रचा गया।

दोबारा हो उत्तर पुस्तिकाओं की जांच

मेधावी अभ्यर्थियों ने सोमवार को रक्षा मंत्रालय में लिखित शिकायत कर उत्तर पुस्तिकाओं की दोबारा जांच की मांग की। उन्होंने लिखा है कि उनकी परीक्षा अच्छी रही थी फिर अंक कम कैसे हो सकते हैं। दोबारा जांच कराकर मेधावियों को नौकरी दी जाए।

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