छावनी परिषद के प्रबंधन में होगा मालरोड

डिफेंस लैंड के प्रबंधन वाले सिविल क्षेत्र जल्द ही छावनी परिषद के प्रबंधन में होंगे।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 21 Sep 2018 01:42 AM (IST) Updated:Fri, 21 Sep 2018 01:42 AM (IST)
छावनी परिषद के प्रबंधन में होगा मालरोड
छावनी परिषद के प्रबंधन में होगा मालरोड

जागरण संवाददाता, कानपुर : डिफेंस लैंड के प्रबंधन वाले सिविल क्षेत्र जल्द ही छावनी परिषद के प्रबंधन में होंगे। इसके लिए छावनी परिषद ने कवायद शुरू कर दी है। रक्षा मंत्रालय के आदेश के बाद ऐसे क्षेत्रों के चिह्नांकन के लिए छावनी परिषद एक सर्वे कमेटी बनाने जा रही है, जिसका प्रस्ताव गुरुवार को कैंट बोर्ड की बैठक में रखा गया। इस फैसले से मालरोड के तमाम संपत्ति स्वामी लाभान्वित होंगे।

माल रोड, जयपुरिया क्रासिंग, जुहारी देवी रोड की सैकड़ों संपत्तियां छावनी परिषद क्षेत्र में हैं, मगर इनका प्रबंधकीय प्रशासन लखनऊ स्थित रक्षा संपदा कार्यालय के पास है। नक्शा पास कराने के लिए यहां रहने वाले संपत्ति स्वामियों को रक्षा संपदा कार्यालय जाना पड़ता है। म्यूटेशन की फाइल केंद्र सरकार तक जाती है। लीज के लिए भी रक्षा संपदा कार्यालय के चक्कर काटने पड़ते हैं। अब रक्षा मंत्रालय ने सिविल क्षेत्रों की प्रबंधकीय जिम्मेदारी रक्षा संपदा विभाग से हटाकर छावनी परिषद को सौंपने की तैयारी कर ली है। इसके लिए छावनी परिषद से सर्वे करने को कहा गया है। गुरुवार को छावनी परिषद की बोर्ड बैठक में सर्वे टीम के लिए प्रस्ताव पास हो गया। सर्वे के बाद तय होगा कि कौन-कौन से क्षेत्रों का प्रबंधकीय दायित्व रक्षा संपदा विभाग से हटाकर छावनी परिषद को सौंपा जाएगा। इस बदलाव के बाद माल रोड व अन्य सिविल क्षेत्रों में रहने वाले सैकड़ों संपत्ति स्वामियों को नक्शा पास कराने, म्यूटेशन और लीज के लिए नहीं भटकना पड़ेगा। छावनी परिषद से ही उनके सभी काम हो जाएंगे। बैठक की अध्यक्षता बोर्ड के अध्यक्ष और स्टेशन कमांडर ब्रिगेडियर नवीन सिंह ने की। उपाध्यक्ष लखन ओमर, सीईओ हरेंद्र सिंह व सभी सभासद मौजूद रहे।

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बोर्ड बैठक के अन्य मुद्दे

-छावनी क्षेत्र में व्यावसायिक वाहनों से अभी तक ज्ञानेंद्र एंड कंपनी 37451 रुपये प्रतिदिन टोल वसूल कर देती थी। टेंडर में उच्चतम बोली के आधार पर लखनऊ की वैरियर एंड सिक्योरिटी सर्विसेज को 38333 रुपये रोजाना के हिसाब से टोल वसूली का अधिकारी दे दिया गया है।

-छावनी परिषद के स्कूल की शिक्षिका ऊषा बुनकर के मामले में परिषद को सुप्रीम कोर्ट में भी हार का मुंह देखना पड़ा है। ऊषा बुनकर राज्य सरकार की तर्ज पर 60 वर्ष में सेवानिवृत्ति की मांग कर रही हैं, जबकि छावनी परिषद के कानूनों में सेवानिवृत्ति की आयु 58 वर्ष है। बोर्ड ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका डालने का फैसला लिया है।

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