कानपुर मेें ब्लैक फंगस के इलाज को नहीं मिल रही एंटी फंगल ड्रग, डॉक्टर ने जताई असमर्थता
ब्लैक फंगस (म्यूकरमाइकोसिस) के इलाज में एंटी फंगल दवाइयां और इंजेक्शन का प्रयोग होता है। एंटी फंगल इंजेक्शन व दवाइयां देश में भारत सीरम सिप्ला एबॉट समेत चार कंपनियां बनाती हैं। कोरोना संक्रमण के दौरान ही अचानक से एंटी फंगल दवाइयों की मांग बढ़ गई है।
कानपुर, जेएनएन। कोरोना वायरस के शिकार आइसीयू में भर्ती गंभीर संक्रमित और संक्रमण से उबरने के बाद नॉन कोविड हुए मरीजों पर ब्लैक फंगस ने (म्यूकरमाइकोसिस) हमला बोल दिया है। शहर में भी ब्लैक फंगस जैसे लक्षण के मरीज इलाज के लिए आने लगे हैं। हैलट में भी एक मरीज भर्ती हुआ है। उसकी आंख और नाक में दिक्कत है, लेकिन उसके इलाज में दवाइयों और इंजेक्शन की कमी रोड़ा अटका रही है। यहां थोक व फुटकर दवा बाजार में भी एंटी फंगल दवाइयां नहीं हैं। डॉक्टरों का कहना है कि अगर समय से दवाइयां नहीं मिलीं तो फंगल ब्रेन तक पहुंच सकता है, जो जानलेवा साबित होगा।
ब्लैक फंगस (म्यूकरमाइकोसिस) के इलाज में एंटी फंगल दवाइयां और इंजेक्शन का प्रयोग होता है। एंटी फंगल इंजेक्शन व दवाइयां देश में भारत सीरम, सिप्ला, एबॉट समेत चार कंपनियां बनाती हैं। कोरोना संक्रमण के दौरान ही अचानक से एंटी फंगल दवाइयों की मांग बढ़ गई है। पहले सामान्य दिनों में 1-2 इंजेक्शन एवं दवाइयां ही बिकती थीं। मांग के अनुरूप ही फुटकर एवं थोक दवा बाजार में उपलब्धता होती थी।
इनका ये है कहना
सामान्य दिनों में एक-दो इंजेक्शन ही दिनभर में बिकता था। अचानक से डिमांड से दिक्कत हो रही है। कंपनियों को ऑर्डर दिए हैं, सोमवार तक माल उपलब्ध हो जाएगा।नंद किशोर ओझा, महामंत्री, दि दवा व्यापार मंडल।
संजय मेहरोत्रा, चेयरमैन, दि फुटकर दवा व्यापार मंडल।