वैट और जीएसटी की नोटिसों से परेशान कानपुर के व्यापारी, आंदोलन की बना रहे रणनीति

कानपुर के व्यापारी इस त्योहार के समय में वैट और जीएसटी की मिसमैच की नोटिसों से परेशान हैं। वाणिज्य कर विभाग की तरफ से व्यापारियों को नोटिस जारी की जा रही है। जिसके खिलाफ अब व्यापारी लामबंद होने की तैयारी में हैं।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Sun, 17 Oct 2021 04:49 PM (IST) Updated:Sun, 17 Oct 2021 04:49 PM (IST)
वैट और जीएसटी की नोटिसों से परेशान कानपुर के व्यापारी, आंदोलन की बना रहे रणनीति
वित्तीय वर्ष 2017-18 के मिस मैच की नोटिस व्यापारियों के पास आ रही हैं।

कानपुर, जेएनएन। वित्तीय वर्ष 2017-18 में वैट के तीन माह और उसके बाद जीएसटी के नौ माह के मिस मैच को लेकर आ रही नोटिसों पर व्यापारी अब आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। व्यापारियों का कहना है कि वाणिज्य कर विभाग के पास सभी व्यापारियों का पूरा डाटा है, इसके बाद भी नोटिस जारी कर व्यापारियों को डाटा दिखाने के लिए बुलाया जा रहा है जो ठीक नहीं है। अबर जल्द ही विभाग इन नोटिसों को बंद नहीं करता तो व्यापारियों को आंदोलन करने पर मजबूर होना पड़ेगा।

इस समय वित्तीय वर्ष 2017-18 के मिस मैच की नोटिस व्यापारियों के पास आ रही हैं। 30 जून 2017 को वैट का अंतिम दिन था। उस दिन के स्टाक को व्यापारियों को जीएसटी में ले जाना था। एक जुलाई 2017 को व्यापारियों को जीएसटी में इसी स्टाक को अपने ओपनिंग स्टाक में दिखाना था क्योंकि उसी दिन से जीएसीट को लागू किया गया था। अब वाणिज्य कर विभाग की तरफ से व्यापारियों को नोटिस आ रही हैं कि उनका डाटा मिसमैच हो रहा है। इसलिए अपनी बुक्स लाकर इस मिसमैच की जांच कराएं। इसको लेकर व्यापारियों के पास जितनी ज्यादा नोटिस जा रही हैं, उसे लेकर व्यापारी नेताओं का कहना है कि 30 जून 2017 को व्यापारी का अंतिम स्टाक कितना था और एक जुलाई को शुरुआती स्टाक कितना था, इसकी जानकारी व्यापारी दे चुके हैं। अधिकारी चाहें तो अपने पास मौजूद डाटा चेक कर लें। अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के जिलाध्यक्ष गुरुजिंदर सिंह के मुताबिक वाणिज्य कर अधिकारियों को अगर नोटिस जारी करना है तो पहले वे अपने डाटा चेक करें। इसके बाद अगर किसी व्यापारी का डाटा मिसमैच मिले तो उसे नोटिस भेजा जाए। सभी को एक साथ नोटिस भेजना उचित नहीं है। यह त्योहार का मौका है और कारोबारी अपने प्रतिष्ठानों में व्यस्त हैं। अगले 20 दिन तो वे वैसे भी खाली नहीं हैं।

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