उद्यमियों का ख्याल रखेगी फैसिलिटेशन काउंसिल, अब किसी भी विभाग में नहीं फंसेगा उनका भुगतान

कानपुर के अलावा आसपास के शहरों के उद्यमियों की राह आसान हो जाएगी । साथ ही 15 दिन के भीतर सरकारी या गैर सरकारी कार्यों में लेन-देन से संबंधित समस्याओं का निस्तारण भी आसानी से हो सकेगा ।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Sat, 20 Feb 2021 12:36 PM (IST) Updated:Sat, 20 Feb 2021 12:36 PM (IST)
उद्यमियों का ख्याल रखेगी फैसिलिटेशन काउंसिल, अब किसी भी विभाग में नहीं फंसेगा उनका भुगतान
कानपुर के मंडलायुक्त की अध्यक्षता में काउंसिल का गठन हुआ।

कानपुर, जेएनएन। सरकारी व गैर सरकारी कार्यों के बाद भुगतान को लेकर कई उद्यमी विभागों के चक्कर लगाते रहे हैं। इससे न तो वह अपनी औद्योगिक इकाईयों में उत्पाद का काम ठीक से कर पाते हैं और न ही आगे की योजना बना पाते हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। कानपुर के अलावा इटावा, औरैया, फर्रूखाबाद, कन्नौज समेत कानपुर मंडल के शहरों के उद्यमियों की समस्याओं का निस्तारण अब फैसिलिटेशन काउंसिल करेगी।

मंडलायुक्त की अध्यक्षता में यह काउंसिल गठित की गई है। सदस्य भी नामित किए जा चुके हैं। काउंसिल के सचिव सर्वेश्वर शुक्ला ने बताया कि जुलाई माह से फैसिलिटेशन काउंसिल उद्यमियों की समस्याओं की सुनवाई करने लगेगी। हरकोर्ट बटलर प्राविधिक विश्वविद्यालय (एचबीटीयू) परिसर में उद्योग विभाग का कार्यालय स्थानांतरित होने जा रहा है। इसी में कानपुर मंडल का कार्यालय शिफ्ट होगा। उद्योग विभाग के इस भवन में निर्माण कार्य चल रहा है।

इसी कार्यालय में फैसिलिटेशन काउंसिल की सुनवाई भी होगी, जबकि नई औद्योगिक इकाइयां शुरू करने समेत बाकी कार्य उद्योग निदेशालय में होंगे। उन्होंने बताया कि सरकारी व निजी विभागों के लिए उत्पाद बनाने वाली कई औद्योगिक इकाइयों को सबसे ज्यादा दिक्कत भुगतान लेने में होती है। कई बार विभाग में मामला लटक जाता है, जबकि कई बार दूसरे विभागों से अनापत्ति प्रमाण पत्र न मिलने से दौड़ लगानी पड़ती है। फैसिलिटेशन काउंसिल एक न्यायालय की तरह काम करेगी। प्रार्थी उद्यमी से संबंधित सभी विभागों को वहां बुलाकर मामले की सुनवाई की जाएगी। इससे जल्द निर्णय होगा।

क्या है फैसिलिटेशन काउंसिल

शासन ने उद्यमियों के भुगतान का निस्तारण करने के लिए फैसिलिटेशन काउंसिल का गठन किया है। काउंसिल में उद्योग निदेशालय के अधिकारियों के अलावा जिला प्रशासन के अधिकरी, बैंक अधिकारी, उद्यमी संगठनों के सदस्यों को शामिल किया गया है। भुगतान न करने पर संबंधित विभाग व संस्था के खिलाफ वसूली की कार्रवाई होगी।

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