बुंदेलखंड की तकदीर बदल देगा डिफेंस कॉरीडोर, खुलेंगे रोजगार के द्वार
उप्र एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने बुंदेलखंड की पथरीली भूमि पर औद्योगिक विकास का खाका खींचना शुरू किया है।
कानपुर, जागरण संवाददाता। तमाम खोखले राजनीतिक दावे-वादे देख चुके बदहाल बुंदेलखंड की तकदीर को अब डिफेंस कॉरीडोर बदल देगा। साथ ही शिक्षित युवाओं और मजदूर वर्ग के लिए रोजगार के द्वार भी खुल जाएंगे, इसके लिए उन इलाकों में संभावनाओं की जमीन तैयार हो रही है। पथरीली जमीन पर औद्योगिक विकास का खाका उप्र एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) खींच रहा है।
डिफेंस कॉरीडोर के लिए उप्र सरकार ने लखनऊ, कानपुर, आगरा, अलीगढ़, झांसी, चित्रकूट को चुना है। इन क्षेत्रों में रक्षा उत्पाद से जुड़ी इकाइयां स्थापित कराने के लिए कवायद चल रही है। कानपुर में पहले से ही कई रक्षा प्रतिष्ठान स्थापित हैं। अब यूपीडा प्राइवेट वेंडर के रूप में नई इकाइयों की स्थापना कॉरीडोर में कराने के लिए प्रयासरत है। सरकार चाहती है कि कुछ एंकर यूनिट यानि बड़ी इकाइयां कॉरीडोर में स्थापित हो जाएं तो उनकी सहयोगी इकाइयों के रूप में कई फैक्ट्रियां लग सकती हैं।
यूपीडा के सीईओ अवनीश अवस्थी ने बताया कि एचएएल, बीईएल जैसे प्रतिष्ठानों ने यदि अपनी इकाई स्थापित की तो उनके लिए टेस्टिंग रेंज आदि के लिए अधिक भूमि चाहिए। शहरी इलाकों में वह जमीन मिल नहीं सकती। लिहाजा, विभाग ऐसी इकाइयों को चित्रकूट, महोबा या झांसी जैसे क्षेत्रों जमीन उपलब्ध कराएगा। इन क्षेत्रों में बड़े प्रतिष्ठानों के साथ सहयोगी इकाइयां भी स्थापित होंगी। ऐसे में पूरे बुंदेलखंड क्षेत्र में रोजगार का संकट खत्म होना तय है। यहां के पढ़े-लिखे नौजवानों से लेकर मजदूर वर्ग तक के लिए नौकरियों के द्वार खुल जाएंगे।
डिफेंस कॉरीडोर के लिए उप्र सरकार ने लखनऊ, कानपुर, आगरा, अलीगढ़, झांसी, चित्रकूट को चुना है। इन क्षेत्रों में रक्षा उत्पाद से जुड़ी इकाइयां स्थापित कराने के लिए कवायद चल रही है। कानपुर में पहले से ही कई रक्षा प्रतिष्ठान स्थापित हैं। अब यूपीडा प्राइवेट वेंडर के रूप में नई इकाइयों की स्थापना कॉरीडोर में कराने के लिए प्रयासरत है। सरकार चाहती है कि कुछ एंकर यूनिट यानि बड़ी इकाइयां कॉरीडोर में स्थापित हो जाएं तो उनकी सहयोगी इकाइयों के रूप में कई फैक्ट्रियां लग सकती हैं।
यूपीडा के सीईओ अवनीश अवस्थी ने बताया कि एचएएल, बीईएल जैसे प्रतिष्ठानों ने यदि अपनी इकाई स्थापित की तो उनके लिए टेस्टिंग रेंज आदि के लिए अधिक भूमि चाहिए। शहरी इलाकों में वह जमीन मिल नहीं सकती। लिहाजा, विभाग ऐसी इकाइयों को चित्रकूट, महोबा या झांसी जैसे क्षेत्रों जमीन उपलब्ध कराएगा। इन क्षेत्रों में बड़े प्रतिष्ठानों के साथ सहयोगी इकाइयां भी स्थापित होंगी। ऐसे में पूरे बुंदेलखंड क्षेत्र में रोजगार का संकट खत्म होना तय है। यहां के पढ़े-लिखे नौजवानों से लेकर मजदूर वर्ग तक के लिए नौकरियों के द्वार खुल जाएंगे।