फर्रुखाबाद: पूजा-अर्चना के साथ बुद्ध अस्थि कलश यात्रा लखनऊ के लिए हुई रवाना

भगवान बुद्ध अस्थि कलश यात्रा रविवार सुबह पूजा-अर्चना के बाद लखनऊ के लिए रवाना हो गई। वाईबीएस सेंटर के अध्यक्ष सुरेश बौद्ध ने बताया कि यहां से यात्रा लखनऊ हवाई अड्डा गई है। वहां से प्लेन से दिल्ली जाएगी। दिल्ली से श्रीलंका वापस चली जाएगी।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Sun, 24 Oct 2021 09:14 PM (IST) Updated:Sun, 24 Oct 2021 09:14 PM (IST)
फर्रुखाबाद: पूजा-अर्चना के साथ बुद्ध अस्थि कलश यात्रा लखनऊ के लिए हुई रवाना
वाईबीएस सेंटर पर बुद्ध मंदिर में पूजा करते लोग।

फर्रुखाबद, जेएनएन। भगवान बुद्ध अस्थि कलश यात्रा रविवार को पूजा-अर्चना के बाद लखनऊ के लिए रवाना हो गई। इस दौरान होटल में मौजूद श्रद्धालुओं ने कलश को नमन किया। अनुयायियों ने कलश यात्रा को भारी मन से विदाई दी। 

संकिसा के राजघाट स्थित वाईबीएस सेंटर में शनिवार को दिन भर चली पूजा-अर्चना के बाद अस्थि कलश देर शाम इंपैक होटल लाया गया। यात्रा लेकर आए श्रीलंकाई भिक्षु होटल में ही रुके थे। सुबह होटल में मौजूद श्रद्धालुओं ने कलश का दर्शन-पूजन किया, इसके यात्रा लखनऊ के लिए रवाना हो गई। वाईबीएस सेंटर के अध्यक्ष सुरेश बौद्ध ने बताया कि यहां से यात्रा लखनऊ हवाई अड्डा गई है। वहां से प्लेन से दिल्ली जाएगी। दिल्ली से श्रीलंका वापस चली जाएगी। जितने दिन कलश यात्रा संकिसा में रहीं अनुयायियों का तांता लगा रहा।

नागपुर से आए बौद्ध भिक्षुओं ने की पूजा: नागपुर से रविवार को भंते प्रज्ञा सागर के नेतृत्व में अशोक कुमार रगड़े सहित 50 सदस्यीय श्रद्धालुओं का दल संकिसा पहुंचा। धार्मिक स्थल गेट पर दर्शन-पूजन के बाद पुलिस 11 लोगों को गेट के अंदर ले गई और धार्मिक स्थल के नीचे पूजन कराया। बिसारी देवी मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए फिलहाल पुजारी को ही जाने की अनुमति है। अन्य श्रद्धालुओं को पुलिस ने रोक दिया। चौथे दिन भी वहां पुलिस का कड़ा पहरा रहा।

श्रीलंका से चलकर संकिसा आई थी यात्रा: श्रीलंका से चलकर भारत में फर्रुखाबाद के संकिसा के यूथ बुद्धिस्ट सोसायटी (वाईबीएस) सेंटर पहुंची थी। भगवान बुद्ध के पवित्र कलश यात्रा को लेकर बौद्ध अनुयायियों में खासा उत्साह रहा। यहां पर सुंदर पंडाल में यात्रा का स्वागत किया गया और विदेशी वाद्ययंत्र वादकों ने तान छेड़ी तो माहौल सुरमयी हो गया। श्रीलंका से आए दल 21 सदस्यीय दल का नेतृत्व डब्लू महेंद्र महानायक थेरो व एम अस्सजी तिस्स थेरो ने किया। कलश के दर्शन के लिए प्रतिदिन अनुयायियों का तांता लगा हुआ रहा।

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