Pintu Sengar Murder Case: पुलिस करती रही रासुका की तैयारी, रिहा हो गया महफूज, शातिर को जेल लेने पहुंचा 20 गाड़ियों का काफिला

20 जून 2020 को बसपा नेता पिंटू सेंगर की चकेरी थानाक्षेत्र में गोलियां बरसाकर हत्या कर दी गई थी। उन्हेंं दो बाइकों पर सवार होकर आए हमलावरों ने 19 गोलियां मारी थीं। इसमें 14 आरोपित जेल में हैं। इनमें महफूज अख्तर भी है।

By Shaswat GuptaEdited By: Publish:Fri, 08 Oct 2021 02:30 PM (IST) Updated:Fri, 08 Oct 2021 02:30 PM (IST)
Pintu Sengar Murder Case: पुलिस करती रही रासुका की तैयारी, रिहा हो गया महफूज, शातिर को जेल लेने पहुंचा 20 गाड़ियों का काफिला
कानपुर में बसपा नेता पिंटू सेंगर की खबर से संबंधित प्रतीकात्मक फोटो।

कानपुर, जेएनएन। बसपा नेता पिंटू सेंगर हत्याकांड में अपराधियों पर शिकंजा कसने की पुलिस की कोशिशों को झटका लगा है। पुलिस हत्याकांड से जुड़े जेल में बंद शातिर अपराधी महफूज अख्तर के खिलाफ रासुका लगाने की तैयारी कर रही थी, मगर वह बुधवार रात जेल से रिहा हो गया। सब कुछ इतने प्री प्लान तरीके से हुआ कि पुलिस को भनक तक नहीं लगी। जब तक पुलिस कुछ करने की स्थिति में होती, महफूज शहर छोड़कर जा चुका था।

20 जून 2020 को बसपा नेता पिंटू सेंगर की चकेरी थानाक्षेत्र में गोलियां बरसाकर हत्या कर दी गई थी। उन्हेंं दो बाइकों पर सवार होकर आए हमलावरों ने 19 गोलियां मारी थीं। इसमें 14 आरोपित जेल में हैं। इनमें महफूज अख्तर भी है। महफूज को लेकर पुलिस की भूमिका शुरू से विवादित रही है। तत्कालीन विवेचकों ने महफूज अख्तर का नाम चार्जशीट से निकाल दिया था। बाद में मीडिया में जब मामला आया तो पुलिस को महफूज व उसके भाई सऊद अख्तर का नाम दोबारा शामिल कर उनके खिलाफ चार्जशीट लगानी पड़ी थी, जिसके बाद दोनों भाइयों ने कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया था। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने हत्या के मामले में महफूज को इस शर्त पर जमानत दे दी कि वह रिहा होने के बाद कानपुर छोड़ देगा। हालांकि गैंगस्टर एक्ट में निरुद्ध होने के चलते उसकी रिहाई नहीं हुई थी। बाद में उसे गैंगस्टर कोर्ट से भी जमानत मिल गई। पुलिस आयुक्त असीम अरुण व डीसीपी पूर्वी प्रमोद कुमार रिहाई से पहले महफूज पर रासुका तामील करवाना चाहते थे। बुधवार को डीएम ने  भी हस्ताक्षर कर दिए थे। यह सब कवायद उस वक्त फेल हो गई, जब बुधवार रात महफूज जेल से रिहा हो गया। उसे लेने जेल गेट पर 20 गाडिय़ां आई थीं। बताया जा रहा है कि रिहा होते ही वह शहर से बाहर चला गया।

प्रशासनिक मशीनरी में बैठे विभीषण बने मददगार: रात के अंधेरे में महफूज की रिहाई कई सवाल छोड़ गई। सामने आया है कि प्रशासनिक व्यवस्था में बैठे विभीषण ही उसके मददगार बने। पिंटू सेंगर के भाई धर्मेंद्र सिंह ने आरोप लगाया कि जान बूझकर रासुका की फाइल कई स्थानों पर रोके रखे गई। विशेषकर अभियोजन में फाइल लंबित रही, जिसका फायदा आरोपित को मिला। जांच हो तो सामने आ जाएगा कि किन किन सरकारी कर्मचारियों ने रासुका तामील में बाधा पैदा की।

पुलिस को खबर तक नहीं लगी: महफूज की रिहाई को लेकर पुलिस को भनक तक नहीं लगी। जमानतदारों का सत्यापन तक पुलिस ने अभी नहीं किया था। यह बड़ा सवाल है कि आखिर बिना जमानतदारों के सत्यापन के महफूज कैसे जेल से छूट गया।

इनका ये है कहना: 

मामले की जांच कराई जाएगी। अगर कोई जानबूझकर अपराधी को लाभ पहुंचाते नजर आया तो कार्रवाई होगी। -  प्रमोद कुमार, डीसीपी पूर्वी

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