बेटी और किडनी दोनों गए, रकम भी चोरी
अंगों के सौदागरों ने लखनऊ निवासी वरदान चंद्र को इतना दर्द दिया कि वह जिंदगी भर नहीं भूल सकते।
जागरण संवाददाता, कानपुर दक्षिण : अंगों के सौदागरों ने लखनऊ निवासी वरदान चंद्र को इतना दर्द दिया कि वह जिंदगी भर नहीं भूल सकते। बेटी के इलाज की मजबूरी सुन गिरोह ने उनकी किडनी बिकवा दी। कम मिले रुपये भी चोरी हो गए और बेटी की जान भी नहीं बची। अब कर्ज देने वाले घर घेर रहे हैं।
लखनऊ में मोबाइल रिपेयरिंग सेंटर चलाने वाले वरदान चंद्र की बेटी पीहू के दिल में सुराख था और जन्म से एक वाल्व भी नहीं था। तबीयत खराब रहने के चलते एम्स में भर्ती कराया गया तो डाक्टरों ने ऑपरेशन कर सुराख बंद करने और वाल्व डालने का खर्च 2.50 लाख रुपये बताया। इलाज की रकम जुटाने के लिए उन्होंने सबूर से चर्चा की तो सबूर ने उसे एक और जिंदगी (दिल्ली में भर्ती मधुकर गोयल) बचाने का वास्ता देकर किडनी डोनेट करने के लिए राजी किया। वरदान को मधुकर गोयल का फूफा बनाकर पिछले साल किडनी डोनेट कराई। चार लाख रुपये देने को कहा था लेकिन महज 2.30 लाख रुपये दिए। इससे पहले कि वरदान बेटी के इलाज के लिए रकम जमा कर पाते। इस बीच चोरों ने यह रकम भी पार कर दी। इलाज के लिए उन्हें कर्ज लेना पड़ा। फिर भी बेटी को बचा नहीं पाए। अब कर्ज लिए रुपये वापस कर रहे हैं। तंग आकर उन्होंने पत्नी की किडनी बेचने का फैसला किया था। फोर्टिस हास्पिटल में पूरी तैयारिया हो चुकी थी। पुलिस इस आपरेशन के दौरान ही आरोपितों को पकड़ना चाहती थी।
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कर्ज उतारने को किडनी बेची लेकिन मिला नहीं धेला
निराला नगर निवासी होटल कर्मी आशीष तिवारी ने 30 हजार रुपये कर्ज लिया था। उसे न चुका पाने पर परेशान थे। पिछले साल उनकी मुलाकात शराब ठेके पर कर्रही के संजय पाल से हुई थी। उसने किडनी बेचकर पाच लाख रुपये कमाने का झांसा दिया। रफीक के नाम से फर्जी प्रपत्र तैयार कराकर पंजाब के मरीज को किडनी ट्रासप्लाट कराई थी लेकिन आज तक एक पैसा नहीं मिला।
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मरीज की मौत हो गई, रुपया नहीं मिलेगा
लखनऊ निवासी 18 वर्षीय शोएब अली शहर के होटल में काम करते थे। जहा सबूर खाना खाने आता था। आर्थिक मदद का भरोसा दिलाकर दिसंबर 2018 में शोएब की किडनी बुलंदशहर के 65 वर्षीय मरीज अनिल अग्रवाल को डोनेट कराई। इसके लिए अनिल के भतीजे संस्कार अग्रवाल के नाम से प्रपत्र तैयार कराए गए। किडनी डोनेट करने के बाद 2.40 लाख रुपये मिले। जबकि सौदा चार लाख में तय हुआ था। बकाया रकम मागने पर आरोपितों ने कहा कि मरीज की मौत हो गई है। बाकी पैसा नहीं मिलेगा।
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फंसते-फंसते बचा ऋषभ
बर्रा विश्वबैंक के-ब्लॉक निवासी ऋषभ मिश्र को कर्रही के संजय पाल ने अच्छी नौकरी लगवाने का झासा देकर जुनैद से मिलवाया। जुनैद उसे दिल्ली ले गया। जहां आइडी किसी और नाम से बनवाने के लिए फोटो आदि मांगे तो उसे शक हुआ तो वह वहा से भाग आया।