चाणक्य और जीने की कला : पुस्तक जो पैदा करती है सामाजिक व्यवहार की समझ

चाणक्य को अबतक एक कुशल नीतिज्ञ अर्थशास्त्री समाजशास्त्री और समर्पित राष्ट्राभिमानी के रूप में जाना है लेकिन उन्होंने जीवन जीने की कला की भी सीख समाज को दी है। बकुल बक्शी ने यही बात चाणक्य और जीने की कला पुस्तक में समझाने का प्रयास किया है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Sun, 21 Nov 2021 09:52 AM (IST) Updated:Sun, 21 Nov 2021 09:52 AM (IST)
चाणक्य और जीने की कला : पुस्तक जो पैदा करती है सामाजिक व्यवहार की समझ
चाणक्य और जीने की कला की समीक्षा।

पुस्तक : चाणक्य और जीने की कला

लेखक : बकुल बक्शी

प्रकाशक : प्रतिभा प्रतिष्ठान, नई दिल्ली

मूल्य : 400 रुपये

समीक्षा-कन्हैया झा

अधिकांश लोग इस तथ्य से परिचित हैं कि चाणक्य की नीतियों में राजनीति, अर्थशास्त्र, धर्म और नैतिक मूल्य सबकुछ समाहित है। वे शासक को सही सलाह देने वाले सच्चे राष्ट्रभक्त थे। वह एक कुशल नीतिज्ञ, अर्थशास्त्री, समाजशास्त्री और समर्पित राष्ट्राभिमानी थे। उनकी नीतियां और कथन सारगर्भित हैैं, जो समाज कल्याण और राष्ट्र की उन्नति का मार्ग प्रशस्त करते हैं। उन्होंने समाज के सभी वर्गों को अपने चिंतन के दायरे में रखा और सबके लिए यथोचित आदर्श आचरण प्रस्तुत किया।

किसी भी व्यक्ति के व्यक्तिगत विकास के लिए सामाजिक, आर्थिक और बौद्धिक आवश्यकता को पूरा करनेवाली सुविधाओं का होना अनिवार्य है। 'चाणक्य से सीखें जीवन जीने की कला' पुस्तक में हर व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण और लाभदायक अधिकांश तथ्यों को समाहित किया गया है। इस लिहाज से यह पुस्तक जीवन के विभिन्न पहलुओं को छूने का प्रयास करती है। हालांकि इससे पहले भी चाणक्य के सिद्धांतों से संबंधित अनेक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, लेकिन इस पुस्तक के लेखक बकुल बख्शी ने इसमें चाणक्य के लिखे श्लोकों का अर्थ समुचित उदाहरणों के माध्यम से बहुत ही सरल भाषा में समझाने का प्रयास किया है। इस पुस्तक में कुल 17 अध्याय हैं। इसकी बड़ी विशेषता यह है कि इसमें वर्णित लगभग दो हजार वर्ष पुराने सिद्धांत आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं।

यदि आप जीवन जीने की कला में निपुण नहीं हैं तो आप समाज में उत्पन्न होने वाले विवादों को समझकर उनका निपटारा नहीं कर पाएंगे। सामाजिक बुराइयों से निपटने के लिए नीतिशास्त्र की समझ अनिवार्य है, जिसका इसमें व्यापक वर्णन किया गया है।

पुस्तक का अध्ययन करने के पश्चात कोई भी व्यक्ति इस बात को आसानी से समझने में सक्षम हो सकता है कि समाज में उसका उचित व्यवहार क्या होना चाहिए। साथ ही लोगों में यह समझ विकसित होगी कि उन्हें क्या करना चाहिए और किन बातों को करने से बचना चाहिए।

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