फर्रुखाबाद में अब बंदीरक्षकों की प्रत्येक गतिविधियों पर नजर रखेगा बॉडी वॉर्न कैमरा
बंदी रक्षकों के आचरण पर रहेगी नजर कैदियों के व्यवहार का होगा विश्लेषण कंधे के पास या सीने पर लगाया जाता है कैमरा आसपास की घटनाओं की लगातार होती रहेगी रिकॉर्डिंग लंबे समय तक डाटा को रखा जा सकेगा सुरक्षित
फर्रुखाबाद, जेएनएन। जेलों में बंदियों के व्यवहार में अवसाद या घबराहट जैसे लक्षणों की पहचान के लिए अब शासन की ओर से बंदीरक्षकों को बॉडी-वार्न कैमरे उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया है। वरिष्ठ जेल अधीक्षक का मानना है कि इससे जहां बंदियों के व्यवहार के अध्ययन में मदद मिलेगी वहीं जेलों में हिंसा या खुदकुशी जैसी घटनाओं को कम करने में भी मदद मिलेगी।
जेलों में क्षमता से अधिक बंद कैदियों की संख्या, स्टाफ की कमी और काम की एकरूपता के चलते बंदियों और बंदी रक्षकों, दोनों के लिए सामान्य मानसिक स्थिति बनाए रखना कठिन होता है। इसके चलते आए दिन बवाल, मारपीट और खुदकुशी जैसी घटनाएं होती रहती हैं। शासन ने इस स्थिति को गंभीरता से लिया है। इसके लिए अब बंदी रक्षकों को बॉडी-वार्न कैमरे उपलब्ध कराए जाएंगे। सेंट्रल जेल के वरिष्ठ अधीक्षक एसएमएच रिजवी का मानना है कि बॉडी-वार्न कैमरों की रिकॉर्डिंग के आधार पर बंदी रक्षकों के बंदियों के प्रति अभद्र व्यवहार और भ्रष्टाचार जैसी शिकायतों पर नजर रखी जा सकेगी। इससे जहां जेल की प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार होगा, वहीं इन कैमरोंं की रिकॉर्डिंग के विश्लेषण के आधार पर बंदियों के आचरण और व्यवहार के अध्ययन में भी मदद मिलेगी। असामान्य व्यवहार, घबराहट या अवसाद जैसी स्थिति को भांप कर उनको समुचित इलाज उपलब्ध कराया जा सकेगा। वरिष्ठ अधीक्षक ने कहा कि शासन का मानना है कि जेल वास्तव में एक सुधार ग्रह है। यहांं पर बंंदी को रखने का उद्देश्य उसका उत्पीडऩ या उसे यातना देना नहीं है। उद्देश्य यह है बंदी जब रिहा होकर समाज में जाए तो वहां उसका आचरण एक जिम्मेदार नागरिक की तरह हो। उन्होंने बताया कि आदेश प्राप्त हो गया है, शीघ्र ही बॉडीवार्न कैमरों की खेप प्राप्त होने की संभावना है।
क्या है बॉडी-वॉर्न कैमरा
बॉडी वॉर्न कैमरा वर्दी पर कंधे या सीने के पास लगाया जाता है। इसमें आसपास की घटनाओं की ऑडियो-विजुअल की रिकॉर्डिंग होती रहती है। खास बात यह है कि इस कैमरे का डाटा लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है।