कोरोना से ठीक होने पर चीजें दो-दो दिखें तो हो सकता है Black Fungus, जानिए- सामान्य और गंभीर लक्षण

नाक और गले के रास्ते म्यूकरमाइकोसिस का संक्रमण पोस्ट कोविड मरीजों में फैल रहा है। देश भर के वरिष्ठ नेत्र सर्जनों का पैनल इलाज और रोकथाम पर मंथन कर रहा है। आइसीयू में रहने और लंबे समय तक स्टेरॉयड चलने से रोगियों को दिक्कत हो रही है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Mon, 17 May 2021 08:38 AM (IST) Updated:Mon, 17 May 2021 10:11 PM (IST)
कोरोना से ठीक होने पर चीजें दो-दो दिखें तो हो सकता है Black Fungus, जानिए- सामान्य और गंभीर लक्षण
पोस्ट कोविड मरीजों में बढ़ी ब्लैक फंगस की समस्या।

कानपुर, [ऋषि दीक्षित]। कोरोना वायरस के संक्रमण से उबरने वाले तेजी से ब्लैक फंगस (काली फफूंदी) की चपेट में आ रहे हैं। आइसीयू में रहने और लंबे समय तक स्टेरॉयड की दवा चलने से कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले मरीजों में नाक और गले के रास्ते संक्रमण फैलता है। धीरे-धीरे आंख की मांसपेशियां (मसल्स) प्रभावित होती हैं, जिससे शुरुआत में संक्रमित व्यक्ति को आंखों से चीजें दो-दो दिखने लगती हैं। ऐसा होते ही फिर सतर्कता के साथ इलाज जरूरी है।

महाराष्ट्र, गुजरात, केरल समेत अन्य राज्यों में ब्लैक फंगस के संक्रमित मिलने के बाद उत्तर प्रदेश में भी केस आने लगे हैं। यह घातक संक्रमण म्यूकरमाइकोसिस नामक मृतोपरजीवी फफूंद (डेड फंगल) से फैलता है। ब्लैक फंगस सामान्यता सड़े हुए पदार्थों, भीगे कपड़ों और नमी वाली सतहों पर पाया जाता है। देश भर के वरिष्ठ नेत्र सर्जनों का पैनल वेबिनार के जरिए ब्लैक फंगस की रोकथाम व इलाज के लिए मंथन में जुटे हैं। इसमें शहर के वरिष्ठ नेत्र सर्जन डॉ. मलय चतुर्वेदी भी शामिल हैं। डॉ. चतुर्वेदी के मुताबिक, कोरोना संक्रमित या कोरोना से उबरे 80 फीसद ऐसे मरीजों में ब्लैक फंगस पाया जा रहा है जो पहले से मधुमेह, किडनी और कैंसर से पीडि़त हैं।

आइसीयू व लो इम्युनिटी से फैल रही बीमारी

गंभीर कोरोना संक्रमित लंबे समय तक आइसीयू में आक्सीजन सपोर्ट पर रहते हैं। इस दौरान फेफड़े का संक्रमण कम करने के लिए स्टेरॉयड थेरेपी के साथ खून पतला करने की दवाएं भी चलाई जाती हैं। आक्सीजन की वजह से नाक, मुंह एवं आंखों के आसपास नमी बनी रहती है। ठीक से सफाई न होने से फंगल इंफेक्शन होने लगता है और संक्रमण चपेट में ले लेता है।

ब्लैक फंगस के सामान्य लक्षण

-नाक और आंख को जोडऩे वाली मसल्स पर सूजन।

-आंख के ऊपर-बाहर के अश्रु क्षेत्र (लैक्रिमल एरिया) में सूजन।

-गाल के ऊपर छूने पर सुन्नता का अहसास होना।

-खखारने पर खून के साथ बलगम जैसा पदार्थ आना।

ये हैं गंभीर लक्षण

-आंखों में अचानक भेंगापन।

-पुतली फूलने से धुंधलापन।

-सिर में भीषण दर्द और बेहोशी।

-आंखें उभर कर बाहर की तरफ आना। यह लाइलाज बीमारी नहीं है। शुरुआती लक्षणों को पहचान सही इलाज से आंख या साइनस निकालने की नौबत नहीं आती है। लापरवाही बरतने से संक्रमण दूसरे अंगों को चपेट में लेने लगता है। फंगस के इलाज की दवाएं बहुत ही सीमित हैं, जिन्हें सोच-समझकर लेना चाहिए। -डॉ. मलय चतुर्वेदी, वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ।

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