Black Fungus को लेकर मरीजों की स्क्रीनिंग, जानिए- क्या हैं खास लक्षण और कैसे करें बचाव
कानपुर के ब्लैक फंगस के लक्षण वाले मरीज मिलने से सतर्कता बढ़ा दी गई है। हैलट अस्पताल की इमरजेंसी और सेमी ओपीडी में आने वाले मरीजों की स्क्रीनिंग कराने का निर्देश दिया गया है और कोविड आइसीयू में मरीजों की निगरानी भी बढ़ाई गई है।
कानपुर, जेएनएन। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के हैलट अस्पताल में कोरोना संक्रमण से ठीक हुए दो मरीजों की ब्लैक फंगस यानी म्यूकरमाइकोसिस के लक्षण मिलने के बाद सतर्कता बढ़ा दी गई है। हैलट इमरजेंसी से भर्ती होने वाले और अस्पताल की सेमी इमरजेंसी ओपीडी में आने वाले मरीजों की स्क्रीनिंग बढ़ाने के निर्देश प्राचार्य ने दिए हैं।
पोस्ट कोविड मरीजों में है समस्या
मेडिकल कॉलेज की ओर से चलाई जा रही टेलीमेडिसिन ओपीडी में कोरोना से उबरने वाले यानी पोस्ट कोविड मरीज अपनी समस्या बताकर सलाह लेते हैं। उनमें से बड़ी संख्या में लोग ब्लैक फंगस को लेकर जानकारी कर रहे हैं। उन्हें ब्लैक फंगस के बारे में बताया जा रहा है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो. आरबी कमल ने मेडिसिन, न्यूरोलॉजी एवं न्यूरो सर्जरी और नेत्र रोग विभाग के प्रमुखों को सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं। सीनियर एवं जूनियर रेजीडेंट को भी अलर्ट रहने को कहा गया है।
आइसीयू मरीजों की बढ़ाई निगरानी
प्राचार्य ने मेडिसिन विभाग के आइसीयू और सर्जिकल आइसीयू में भर्ती मरीजों की सतत निगरानी के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा कोविड आइसीयू में भर्ती कोरोना संक्रमितों की देखरेख बढ़ाने का निर्देश डॉक्टरों को दिया है। अगर किसी भी संक्रमित में ब्लैक फंगस जैसे लक्षण दिखने पर तत्काल उन्हें अलग आइसोलेट करने का निर्देश दिया है। इसके लिए कोविड आइसीयू के नोडल अफसर और जेआर को सतर्कता बरतने के लिए भी कहा है।
ये लोग हैं हाई रिस्क पर
कोरोना वायरस के संक्रमण से उबरने वाले वैसे व्यक्ति, जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है। उसके अलावा लंबे समय से मधुमेह से पीडि़त, हाई ब्लड प्रेशर, लिवर और किडनी प्रत्यारोपण कराने वाले मरीज और कोरोना के गंभीर संक्रमित, जिन्हें स्टेरॉयड की दवाइयां चलाई गईं हैं।
क्या होता है ब्लैक फंगस
मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रो. रिचा गिरि का कहना है कि ब्लैक फंगस (म्यूकरमाइकोसिस) फंजाई समूह से जुड़ा है। लंबे समय तक आइसीयू या ऑक्सीजन सपोर्ट में रहने से आंख के नीचे, नाक और गले की त्वचा के आसपास नमी होने से फंगल होने लगता है। ऐसे में इस हिस्से की त्वचा काली पड़ जाती है, जिससे इसे ब्लैक फंगस कहा जाता है। यह नाक-कान और जबड़ों से शुरू होकर आंख और ब्रेन तक पहुंच जाता है।
यह हैं लक्षण : जुकाम, आंखों में लालीपन, आंख और नाक में सूजन, भीषण सिर दर्द।
ऐसे करें बचाव
-कोरोना से उबरे व्यक्ति मुंह की सफाई पर विशेष ध्यान रखें।
-मुंह के अंदर किसी प्रकार की कोई परत तो नहीं जम रही।
-निगेटिव रिपोर्ट आने के बाद तुरंत स्टेरॉयड दवाइयां बंद न करें।
-स्टेरॉयड की दवाइयां डॉक्टर की सलाह पर धीरे-धीरे ही बंद करें।
सीएमओ बोले- जिले में ब्लैक फंगस नहीं
सीएमओ डॉ. नेपाल ङ्क्षसह ने जिले में ब्लैक फंगस से मौतों की जानकारी होने से इन्कार किया है। उनका कहना है कि जिले में ब्लैक फंगस का कोई केस नहीं मिला है। फिर भी इसको लेकर कोविड हॉस्पिटल एवं कोविड आइसीयू में सतर्कता बरतने के लिए कहा गया है।