Black Fungus से पीड़ित महिला की आंखों की रोशनी गई, कोरोना संक्रमित होने की पुरानी हिस्ट्री भी नहीं
कानपुर शहर में ब्लैक फंगस के मरीज मिल रहे हैं अबतक संक्रमितों की संख्या सात हो चुकी है। इंजेक्शन न होने से इलाज में दिक्कत आ रही है और ऑपरेशन भी नहीं हो पा रहे हैं। मेडिकल कॉलेज प्राचार्य ने संबंधित विभागों को दिशा निर्देश जारी किए हैं।
कानपुर, जेएनएन। कोरोना वायरस के संक्रमण से उबरने वाले मधुमेह पीडि़त ब्लैक फंगस की चपेट में आ रहे हैं। रविवार को जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के हैलट अस्पताल में ब्लैक फंगस के लक्षण वाले महिला समेत दो संक्रमित भर्ती हुए हैं, जबकि एक संक्रमित के स्वजन जांच कराने की बात कहकर वापस नहीं आए हैं। हैलट में तीन दिन में ब्लैक फंगस के लक्षण के सात संक्रमित भर्ती हो चुके हैं।
हैलट अस्पताल की इमरजेंसी में 59 वर्षीय महिला रविवार शाम भर्ती हुई है। उसकी दोनों आंखों की रोशनी चली गई है। हालांकि उसमें कोविड संक्रमण की कोई हिस्ट्री नहीं है। वह आइसीयू में कई दिन भर्ती रही है, जिससे उसे नाक से लेकर आंखों में दिक्कत शुरू हुई। उसकी दोनों आंखों में सूजन भी है। इसके अलावा दो पुरुष ब्लैक फंगस के लक्षण के साथ भर्ती हुए थे, उसमें से एक का नेजल स्वाब जांच के लिए भेजा गया है। दूसरे संक्रमित के स्वजन जांच कराने की बात कहकर उसे लेकर गए थे, लेकिन लौट कर नहीं आए।
इंजेक्शन न होने से इलाज में दिक्कत
डॉक्टरों का कहना है कि ब्लैक फंगस के सभी संक्रमितों के इलाज में इंजेक्शन न होने से दिक्कत आ रही है। एंटी फंगल इंजेक्शन एमफोटरेसिन बी शहर में कहीं नहीं मिल रहा है। ऐसे में ड्रिप और एंटी बायोटिक दवाएं चलाई जा रही हैं। डॉक्टरों का कहना है कि नाक एवं आंख में संक्रमण होने से एक साथ सर्जरी की जरूरत है, लेकिन इंजेक्शन न होने की वजह से ऑपरेशन भी नहीं किया जा सकता है।
मरीजों की बिगड़ रही हालात
जब तक एंटी फंगल इंजेक्शन नहीं उपलब्ध हो जाता, डॉक्टर उनका ऑपरेशन भी नहीं कर सकते हैं। ऐसे में वार्ड में भर्ती 30 वर्षीय युवक हर्ष समेत सभी की हालत दिनोंदिन बिगड़ती जा रही है। एक मरीज की मधुमेह अनियंत्रित होने पर उसे मेडिसिन विभाग में ट्रांसफर करना पड़ गया।
ईएनटी में भर्ती ब्लैक फंगस के लक्षण के मरीज
मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ने जारी किए दिशा-निर्देश
ब्लैक फंगस के लक्षण के मरीज अब जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के हैलट अस्पताल में आने लगे हैं। इसे देखते हुए प्राचार्य प्रो. आरबी कमल ने दिशा-निर्देश जारी किए हैं। प्राचार्य प्रो. आरबी कमल का कहना है कि ऐसे लक्षण के मरीजों को नाक, कान, गला (ईएनटी) विभाग के कंसल्टेंट की देखरेख में भर्ती होंगे। उसके बाद नेजल स्वाब लेकर मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबायोलॉजी विभाग की लैब में भेजा जाएगा। माइक्रोस्कोपिक जांच में फंगस की पुष्टि होने पर ऑपरेशन की तैयारी की जाएगी।
ईएनटी, न्यूरो और चेस्ट विशेषज्ञ को जिम्मेदारी
प्राचार्य प्रो. आरबी कमल के मुताबिक ब्लैक फंगस का ऑपरेशन ईएनटी, नेत्र रोग, न्यूरो सर्जरी और चेस्ट रोग विशेषज्ञ की देखरेख में होगा। ऑपरेशन के तुरंत बाद आंख एवं साइनस के टिश्यू की बायोप्सी लेकर माइक्रोस्कोपिक जांच के लिए माइक्रोबोयालॉजी विभाग भेजा जाएगा। इस आदेश से सभी विभागाध्यक्षों को अवगत करा दिया है। उन्हें अपने-अपने विभाग से एक कंसल्टेंट को इसके लिए नामित करने के निर्देश दिए हैं।
30 बेड का वार्ड सुरक्षित
प्राचार्य प्रो. कमल ने बताया कि ब्लैक फंगस के मरीजों के लिए वार्ड 9 में 30 बेड रिजर्व कर दिए हैं। अभी एंटी फंगल इंजेक्शन नहीं आ सके हैं। इसलिए एंटीबायोटिक दवाइयों से काम चलाया जा रहा है। हैलट में अब तक ब्लैक फंगस के लक्षण के सात मरीज आ चुके हैं। उनका सामान्य दवाइयों से ही इलाज किया जा रहा है। एंटी फंगल इंजेक्शन का ऑडर दे चुके हैं, लेकिन कंपनी ने अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है। न ही कोई जानकारी दी है। इस वजह से उनके इलाज में दिक्कत आ रही है। -प्रो. आरबी कमल, प्राचार्य, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज।