क्षेत्रीय अध्यक्षों को मजबूत कर रही है भाजपा, जानिए क्या है नई रणनीति

अवध क्षेत्र के क्षेत्रीय अध्यक्ष रहे सुरेश तिवारी अध्यक्ष रहते हुए विधानसभा चुनाव का लड़े और विधायक बने थे। 2017 में पश्चिम क्षेत्र के अध्यक्ष रहते हुए चौधरी भूपेंद्र सिंह 2017 में अध्यक्ष रहते हुए विधायक बने और उसके बाद संगठन ने उन्हेंं सरकार ने मंत्री पद भी दिया।

By Akash DwivediEdited By: Publish:Sat, 16 Jan 2021 03:18 PM (IST) Updated:Sat, 16 Jan 2021 03:18 PM (IST)
क्षेत्रीय अध्यक्षों को मजबूत कर रही है भाजपा, जानिए क्या है नई रणनीति
क्षेत्रीय अध्यक्षों को आगे बढ़ाने का क्रम सिर्फ यहीं तक नहीं रुका

कानपुर, जेएनएन। भारतीय जनता पार्टी अपने क्षेत्रीय अध्यक्षों को और मजबूत कर रही है। अलग-अलग क्षेत्रों में अध्यक्ष पद का दायित्व निभाने वालों को पार्टी ने संगठन के दायित्व के साथ राज्यसभा सदस्य, विधान परिषद सदस्य, विधायक और मंत्री तक बनाया। इन स्थितियों को देखते हुए दूसरे कार्यकाल की जिम्मेदारी निभा रहे कानपुर बुंदेलखंड के क्षेत्रीय अध्यक्ष मानवेंद्र सिंह का नाम भी विधान परिषद सीट के लिए मजबूत माना जा रहा है। उनका नाम इसलिए भी मजबूत माना जा रहा है क्योंकि 2016 में उनके कार्यभार ग्रहण करने के बाद भाजपा ने इस क्षेत्र में 52 में से 47 सीटें जीती हुई हैं। इसके साथ ही इस क्षेत्र में 10 लोकसभा सीटें हैं और सभी 10 सीटें भाजपा ने जीती हुई हैं। अवध क्षेत्र के क्षेत्रीय अध्यक्ष रहे सुरेश तिवारी अध्यक्ष रहते हुए विधानसभा चुनाव का लड़े और विधायक बने थे। इसी तरह 2017 में पश्चिम क्षेत्र के अध्यक्ष रहते हुए चौधरी भूपेंद्र सिंह 2017 में अध्यक्ष रहते हुए विधायक बने और उसके बाद संगठन ने उन्हेंं सरकार ने मंत्री पद भी दिया। क्षेत्रीय अध्यक्षों को आगे बढ़ाने का क्रम सिर्फ यहीं तक नहीं रुका।

संगठन ने गोरखपुर क्षेत्र के अध्यक्ष उपेंद्र शुक्ल को योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद उनकी खाली हुई सीट से टिकट दिया। हालांकि लोकसभा चुनाव वह हार गए। काशी क्षेत्र में लक्ष्मण आचार्य क्षेत्रीय अध्यक्ष के साथ विधान परिषद सदस्य भी हुए। वहीं बृज क्षेत्र में अध्यक्ष रहे बीएल वर्मा राज्यसभा सदस्य हुए थे। हालांकि वर्तमान में किसी भी क्षेत्र का अध्यक्ष किसी अन्य पद पर नहीं है, लेकिन पार्टी नेताओं का मानना है कि कानपुर बुंदेलखंड क्षेत्र के अध्यक्ष मानवेंद्र सिंह एक कार्यकाल पूरा कर चुके हैं और उनके साथ रहे कई क्षेत्रीय अध्यक्ष अब अन्य पदों पर आगे निकल गए हैं।

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