मुर्दों और डिस्चार्ज मरीजों को लगा दिए रेमडेसिविर इंजेक्शन, कानपुर में सामने आया बड़ा फर्जीवाड़ा

जीएसवीएम मेडिकल कालेज के एलएलआर अस्पताल में फर्जीवाड़े की शिकायत के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय से जांच रिपोर्ट तलब की गई है। दूसरी ओर कालेज प्रशासन का दावा है कि जांच में स्टोर से इंजेक्शन आवंटन में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Sun, 13 Jun 2021 07:51 AM (IST) Updated:Sun, 13 Jun 2021 07:51 AM (IST)
मुर्दों और डिस्चार्ज मरीजों को लगा दिए रेमडेसिविर इंजेक्शन, कानपुर में सामने आया बड़ा फर्जीवाड़ा
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में खेल हुआ है।

कानपुर, जेएनएन। जीएसवीएम मेडिकल कालेज के लाला लाजपत राय अस्पताल (हैलट) में कोरोना के गंभीर मरीजों के इलाज में लगने वाले रेमडेसिविर इंजेक्शन में कर्मचारियों ने खूब खेल किया। इंजेक्शन दुरुपयोग मामले में मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने रिपोर्ट तलब की है। उधर, मेडिकल कालेज प्राचार्य प्रो. आरबी कमल का कहना है कि ड्रग स्टोर से रेमडेसिविर इंजेक्शन के आवंटन के रिकार्ड तलब किए थे। इंजेक्शन आवंटन की गड़बड़ी नहीं मिली है। हकीकत पता लगाने के लिए प्रमुख अधीक्षक (एसआइसी) की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच टीम बनाकर तीन दिन में रिपोर्ट मांगी है।

एलएलआर अस्पताल के न्यूरो साइंस सेंटर स्थित कोविड हॉस्पिटल में कोरोना संक्रमित गंभीर मरीजों की मौत एवं अस्पताल से छुट्टी के बाद भी उनके नाम पर रेमडेसिविर इंजेक्शन मंगाने के फर्जीवाड़े की शिकायत जीएसवीएम मेडिकल कालेज के प्राचार्य को मिली है। इस पर प्राचार्य जांच करने न्यूरो साइंस सेंटर के कोविड हास्पिटल गए। वहां उन्होंने 17 इंडेंट बुक पकड़ी हैं। वहां उन्हें रेमडेसिविर इंजेक्शन के 730 खाली वॉयल भी मिले हैं। इंडेंट बुक के माध्मय से स्टोर से अब तक मंगाए गए इंजेक्शन का मिलान कराएंगे।

एक-एक इंजेक्शन की मांगी रिपोर्ट

प्राचार्य का कहना है कि इंजेक्शन वितरण की व्यवस्था पांच अप्रैल से फूलप्रूफ है। इलाज करने वाले डाक्टर मरीज के लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन लिखते हैैं तो वार्ड की सिस्टर इंचार्ज न्यूरो साइंस सेंटर के फार्मासिस्ट को अवगत कराती हैं। वह इंडेंट बनाकर वाट््सएप पर उप प्राचार्य प्रो. रिचा गिरि से अनुमति लेते हैं। उनकी अनुमति के बाद ही स्टोर से मरीज के नंबर और नाम से आवंटित होता है। सील तोडऩे के बाद इंजेक्शन के वायल पर ही मरीज का नाम और नंबर लिखकर न्यूरो साइंस सेंटर भेजा जाता है। इस्तेमाल के बाद इंजेक्शन का खाली वायल स्टोर को वापस करने के निर्देश हैं। न्यूरो साइंस में कितने इंजेक्शन मंगाए गए, मरीजों को कितने लगे और उनमें से कितने के खाली वायल वापस किए गए। सबकी रिपोर्ट मांगी है।

जांच कमेटी तीन दिन में देगी रिपोर्ट

प्राचार्य ने बताया कि प्रमुख अधीक्षक डा. ज्योति सक्सेना की अगुआई में तीन सदस्यीय जांच कमेटी बनाई है, जिसमें बाल रोग विभाग के प्रोफेसर डा.अरुण कुमार आर्या और चीफ फार्मासिस्ट राजेद्र सिंह पटेल हैं। कमेटी तीन दिन में रिपोर्ट देगी।

जिन्हें स्वीकृत उन्हें लगे, अन्यथा वापस स्टोर आए इंजेक्शन

प्राचार्य ने बताया कि कोरोना संक्रमितों के इंजेक्शन में फर्जीवाड़े की शिकायत हुई है। इसकी प्रारंभिक जांच प्राचार्य ने सीएमएस डा. शुभ्रांशु शुक्ला से कराई है। उसमें सामने आया है कि डा. राजतिलक गंभीर स्थिति में भर्ती हुए थे। उनके फेफड़े में गंभीर संक्रमण था। उन्हें 10 दिन तक रेमडेसिविर इंजेक्शन चलाए गए। पहले कोविड आइसीयू में रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाए गए।

रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद नान कोविड में भी इंजेक्शन लगते रहे। इसी तरह नाजिया की मौत 27 अप्रैल को हुई, उसे उस दिन इंजेक्शन लगाया गया था। निर्मला खरे की मौत 23 अप्रैल के भोर 3.30 बजे हुई, उनका इंजेक्शन वापस स्टोर आ गया था। इसी तरह रामदास की मौत 29 अप्रैल को सुबह 9.15 बजे हुई। प्रहलाद ङ्क्षसह एवं शिवम की मौत का न कोई रिकार्ड है, न ही उन्हें इंजेक्शन दिए गए।

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