कानपुर में Covid Vaccination का सनसनीखेज सच, मुसीबत में पड़ सकते हैं जोड़ जुगाड़ से वैक्सीन लगवाने वाले वाले

कानपुर में कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए जारी टीकाकरण में गोलमाल सामने आ रहा है। किसी को वैक्सीन की दोनों डोज लगने के बाद तीसरी बार टीका लगवाने का बुलावा आ रहा है तो किसी को बिना इंजेक्शन लगवाए वैक्सीनेशन होने का संदेश मिल गया है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Sun, 09 May 2021 09:53 AM (IST) Updated:Sun, 09 May 2021 09:53 AM (IST)
कानपुर में Covid Vaccination का सनसनीखेज सच, मुसीबत में पड़ सकते हैं जोड़ जुगाड़ से वैक्सीन लगवाने वाले वाले
सामने आया वैक्सीनेशन में बड़ा खेल ।

कानपुर, [गौरव दीक्षित]। कोरोना संक्रमण की वजह से मरने वालों की संख्या में खेल के बाद अब एक और सनसनीखेज सच सामने आया है। मौतों जैसी ही आंकड़ों की बाजीगरी वैक्सीनेशन में भी सामने आई है। शहर में ऐसे दर्जनों मामले प्रकाश में आए हैं, जिन्होंने वैक्सीन लगवाने के लिए आवेदन किया था और किन्हीं कारणों से वह लगवाने नहीं जा सके। इसके बावजूद उनके मोबाइल नंबर पर वैक्सीन लगाए जाने के मैसेज आ गए। खास बात यह है कि इसके लिए बकायदा प्रोविजनल सर्टिफिकेट भी जारी कर दिए गए। वहीं, वैक्सीनेशन में लापरवाही भी हो रही है। तमाम लोग ऐसे हैं, जिन्होंने दोनों डोज ले लिए, मगर उन्हें दोनों बार प्रोविजनल सर्टिफिकेट ही थमा दिया गया। संवाददाता ने इन मामलों की पड़ताल की तो सामने आया कि शहर में बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन में गोलमाल किया गया है। किसी के नाम पर किसी को वैक्सीन लगा दी गई है।

Case-1

नाम- मनीष त्रिपाठी

पता- एक ब्लॉक गोविंदनगर

पहला टीका- 5 मई

दूसरा टीका- 2 जून

कहां लगा- अर्मापुर हॉस्पिटल

किसने लगाया- नीतू

- वैक्सीनेशन के लिये रजिस्ट्रेशन कराया। पांच मई को वैक्सीन लगने का समय मिला। किन्हीं कारणों से वैक्सीन लगवाने नहीं जा सके। छह मई को उन्हें अपने मोबाइल नंबर पर संदेश प्राप्त हुआ कि आपको वैक्सीन लगाई जा चुकी है। ठीक यही घटना मनीष के परिवार के दो अन्य सदस्यों के साथ भी हुई। खास बात यह है कि तीनों को वैक्सीन की पहली डोज नहीं लगी है, पर उन्हें प्रोविजनल सर्टिफिकेट भी जारी किया जा चुका है।

Case-2

नाम- सतीश चंद्र मिश्रा

पता- रानीघाट

पहला टीका- 16 मार्च

दूसरा टीका- 28 दिन बाद

कहां लगा- गुरुतेग बहादुर हॉस्पिटल

किसने लगाया- भावना

-पहला टीका लगने के बाद सतीश 27 अप्रैल को दूसरा टीका लगवाने रीजेंसी अस्पताल पहुंचे। वैक्सीनेशन पूरा होने का प्रमाणपत्र मिलने के स्थान पर पोर्टल से उन्हें प्रोविजनल सर्टिफिकेट ही जारी हुआ। उन्हें अगली तिथि 25 मई की दी गई है। ऐसे में सतीश मिश्रा के सामने समस्या आ खड़ी हुई कि वह तीसरी बार टीका लगवा नहीं सकते और जब तक वैक्सीनेशन पूरा होने का प्रमाणपत्र नहीं मिलता तो वैक्सीनेशन को सरकारी मान्यता नहीं मिलेगी।

पड़ताल में सामने आया सच

संवाददाता ने जब मनीष त्रिपाठी व इससे मिलते जुलते अन्य मामलों की पड़ताल की तो सनसनीखेज तथ्य सामने आया। पता चला कि वैक्सीनेशन के नाम पर भी खेल हो रहा है। असल में हुआ यह कि सरकार ने 45 की उम्र के ऊपर वालों को दूसरे चरण में वैक्सीन लगाने का फैसला किया था। तमाम ऐसे ऊंची पहुंची वाले जिनकी उम्र कम थी, उन्होंने अस्पतालों में जोड़ जुगाड़ लगाया। निश्चित तारीख पर अगर कोई आवेदनकर्ता नहीं आया तो उसके स्थान पर पहुंच वाले लोगों को वैक्सीन लगा दी गई। ऐसा शहर में बड़े पैमाने पर हुआ है।

मुसीबत में डाल सकता है जोड़ जुगाड़

बड़ी संख्या में लोगों ने जोड़ जुगाड़ करके वैक्सीन लगवा ली है, मगर उनके लिए यह मुसीबत खड़ा कर सकता है। असल में विदेश जाने से लेकर तमाम प्रयोजनों में वैक्सीनेशन के प्रमाण पत्र की आवश्यकता होगी। ऐसे लोगों को प्रमाण पत्र नहीं मिल सकेगा। सर्टिफिकेट पाने के लिए वैक्सीन तय नियमों के मुताबिक ही लगवानी पड़ेगी। इस तरह की उन्हें फिलहाल कोई शिकायत नहीं मिली है, यदि ऐसा है तो जांच कराई जाएगी। हालांकि पोर्टल पर गलत सूचनाएं दर्ज होने की जानकारी मिली है, जो उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है। उच्चाधिकारियों को इससे अवगत कराया जाएगा। -डॉ.जी के मिश्रा अपर निदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य व परिवार कल्याण

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