कानपुर और आसपास के जिले के उद्यमियों को मिलेगी राहत, चुटकियों में सुलझेंगे औद्योगिक लेन-देन के मसले

मंडलायुक्त की अध्यक्षता में बनी फैसिलिटेशन काउंसिल में उद्योग अधिकारी व दो उद्यमी होंगे सदस्य। संयुक्त आयुक्त उद्योग सर्वेश्वर शुक्ला ने बताया कि अभी प्रदेश के सभी उद्यमियों को माल बेचने के बाद समय पर भुगतान न मिलने पर शिकायत दर्ज कराने के लिए कानपुर आना पड़ता है।

By Shaswat GuptaEdited By: Publish:Thu, 14 Jan 2021 09:02 PM (IST) Updated:Thu, 14 Jan 2021 09:02 PM (IST)
कानपुर और आसपास के जिले के उद्यमियों को मिलेगी राहत, चुटकियों में सुलझेंगे औद्योगिक लेन-देन के मसले
कानपुर में लेनदेन के मसलों को दर्शाती हुई सांकेतिक तस्वीर।

कानपुर, जेएनएन। अक्सर उद्यमियों को यह शिकायत रहती है कि उनकी औद्योगिक इकाइयों में बनने वाले उत्पादों के दाम समय पर नहीं मिल पाते हैं। कई बार महीनों भुगतान रुका रहता है। अब उनकी इस समस्या का समाधान चुटकियों में हो जाएगा। ऐसे उद्यमियों के लिए मंडल स्तर पर फैसिलिटेशन काउंसिल बनाई गई है जो सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम में लेन-देन के मामलों का जल्द निस्तारण करेगी।

मंडलायुक्त की अध्यक्षता में बनाई गई इस काउंसिल में उद्योग निदेशालय के अधिकारी व दो उद्यमी प्रतिनिधियों को भी शामिल किया गया है। यह काउंसिल एक न्यायालय की तरह सुनवाई करेगी। इससे कानपुर नगर, कानपुर देहात, इटावा, औरैया, कन्नौज और फर्रुखाबाद के उद्यमियों की राह आसान हो जाएगी। उन्हें अब न्याय पाने के लिए कोर्ट के चक्कर नहीं लगाने होंगे। काउंसिल में अपना पक्ष रखने के लिए केवल दो शर्तों को रखा गया है। जो उद्योग इसमें अपना पक्ष रखेगा, उसके पास पंजीकरण नंबर व बिल होना चाहिए। संयुक्त आयुक्त उद्योग सर्वेश्वर शुक्ला ने बताया कि अभी प्रदेश के सभी उद्यमियों को माल बेचने के बाद समय पर भुगतान न मिलने पर शिकायत दर्ज कराने के लिए कानपुर आना पड़ता है। नोएडा, अलीगढ़, आगरा व लखनऊ जैसे शहरों से आना उनके लिए कई बार मुश्किल हो जाता था। उन्हें अपने मंडल में ही इन समस्याओं का हल मिल जाया करेगा। सभी मंडलों में काउंसिल गठित कर दी गई है।

ज्यादा उद्यमियों की समस्या सुनी जा सकेंगी

कानपुर मंडल में इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के  पूर्व अध्यक्ष तरुण खेत्रपाल व लघु उद्योग भारती के अध्यक्ष हरेंद्र मूरजानी को फैसिलिटेशन काउंसिल का उद्यमी सदस्य बनाया गया है। हरेंद्र मूरजानी ने बताया कि प्राइवेट फर्म व सरकारी फर्म, दोनों में कई बार भुगतान मिलने में बहुत देर हो जाती है। माल बेचने के बाद महीनों तक भुगतान नहीं मिलता है। कोर्ट में अगर इन मामलों में ले जाया जाए तो कई महीनों तक तारीख नहीं मिलती है। अगर मिलती है तो वकील करना पड़ता है। इसके अलावा पैसा भी खूब खर्च होता है। मंडल स्तर पर काउंसिल बनने से ज्यादा से ज्यादा उद्यमियों के मामलों की सुनवाई हो सकेगी। प्रदेश स्तर की काउंसिल में यह संभव नहीं हो पाता था। वहां उद्यमियों की लंबी कतार लगी रहती थी। इसके अलावा मंडलीय काउंसिङ्क्षलग बनने से उद्यमी अब संबंधित कागज देने के साथ खुद अपनी पैरवी करके अपना पक्ष रख सकेंगे। 

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